तीन जन्मों के पापों से चाहते हैं मुक्त होना तो अर्पित करें बेलपत्र, जानिये कैसे?
सावन महीने में त्रयोदशी के दिन इसे श्रावण प्रदोष भी कहा जाता है। प्रदोष हर महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन अपने इष्टदेव की पूजा अर्चना इस दिन करना काफी शुभ माना जाता है। प्रत्येक वार को प्रदोष की पूजन विधि अलग-अलग होती है। सावन महीने में पड़ने वाले प्रदोष का महत्व 10 गुणा ज्यादा होता है।
शुकवार को पड़ने वाले प्रदोष से होती है सौभाग में वृद्धि:
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर जो भी व्यक्ति बेलपत्र चढ़ाता है, उसके तीन जन्मों के पाप कट जाते हैं। सावन के महीने में शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत से शौभाग्य में वृद्धि होती है। प्रदोष व्रत में भगवान शंकर के साथ माता पार्वती का भी पूजन किया जाता है। प्रदोष व्रत करने से इंसान के जीवन के सभी कष्टों का नाश हो जाता है।
पूजन की विधि:
प्रदोष व्रत के समय शाम के समय भगवान शिव के शिवलिंग का विधिवत पूजन करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। शुद्ध घी का दीपक बनायें और उसे शिवलिंग के समक्ष जलाएं। चन्दन से धुप करें, चन्दन का त्रिपुंड बनायें। बेलपत्र चढ़ाएँ, खीर का भोग लगायें। इसके बाद रुद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र का 108 बार जाप करने के बाद खीर को किसी सुहागन महिला को दे दें।
शिव मंत्र:
ॐ पार्वतीप्रियाय नमः
पूजन मुहूर्त:
शाम 18:52 से शाम 19:42 तक।
अभिजीत मुहूर्त:
दिन 12:00 से दिन 12:53 तक।
अमृत काल:
दिन 13:53 से शाम 15:41 तक।
यात्रा महूर्त:
दिशाशूल – पश्चिम। नक्षत्र शूल – नहीं। राहुकाल वास – आग्नेय। अतः आग्नेय व पश्चिम दिशा की यात्रा टालें।
आज का शुभ रंग:
गुलाबी।
शुभ दिशा:
उत्तर।
शुभ समय:
शाम 18:52 से शाम 19:42 तक।
शुभ मंत्र
ॐ ब्रह्मांडमंडलाय नमः॥
शुभ टिप्स:
सौभाग्य प्राप्त करने के लिए शिवलिंग पर शतावरी चढ़ाएं बाद में उसे अपनी तिजोरी में रखें।
जन्मदिवस वालों के लिए:
माता लक्ष्मी की प्रतिमा के ऊपर लक्ष्मी कौड़ी चढ़ाने से नौकरी में तरक्की मिलती है।
एनिवर्सरी वालों के लिए:
दही में चीनी मिलाकर गाय को खिलाने से दांपत्य में आई कड़वाहट दूर हो जाती है और पति-पत्नी में पुनः प्रेम बन जाता है।