जंगल में गुरु को लगी प्यास, शिष्य झरने के पास गया तो पानी गंदा निकला, गुरु ने फिर भेजा तो ..
एक समय की बात है। एक बार गुरु अपने शिष्यों के साथ किसी गांव जा रहे थे। वे रास्ते में जंगल से होकर गुजरे। इतना लंबा सफर तय करते हुए गुरु को प्यास लग गई। उन्होंने अपने एक शिष्य को पानी लाने के लिए भेजा। शिष्य पानी की खोज करने लगा। उसे जंगल में एक झरना दिखा। हालांकि इस झरने से निकला पानी बहुत गंदा था। ऐसे में वह लौट आया।
गुरु को लगी प्यास, शिष्य ने ऐसे बुझाई
शिष्य ने गुरु से कहा कि मुझे एक झरना मिला, लेकिन उसका पानी बहुत गंदा है और पीने योग्य नहीं है। इस पर गुरु ने कहा कि तुम फिर से उस झरने पर जाओ। इस बार तुम्हें उसका पानी साफ मिलेगा। शिष्य ने ऐसा ही किया। लेकिन उसे फिर पानी मटमैला ही मिला। ऐसे में वह फिर से गुरु के पास लौट आया। अब गुरु ने कुछ समय बाद उसे फिर से उसी झरने के पास भेज दिया।
इस बार झरने का पानी थोड़ा पीने लायक था। लेकिन पूरी तरह साफ नहीं था। ऐसे में शिष्य वहीं बैठ गया। काफी समय इंतजार करने के बाद झरने का पानी एकदम साफ और पीने योग्य हो गया। शिष्य इस पानी को एक बर्तन में भरकर गुरु के पास ले आया।
गुरु ने पूछा कि “इस बार तुम्हें इतनी देरी कैसे हो गई?” इस पर शिष्य ने कहा “मैं जब झरने के पास गया तो पानी थोड़ा बहुत साफ था। लेकिन पीने योग्य नहीं था। इसलिए दोबारा आने की बजाय मैंने वहीं बैठकर थोड़ा इंतजार किया। फिर पानी साफ हुआ तो ले आया।”
फिर गुरु ने शिष्य से कहा “जीवन में भी कई बार ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती है जब हमे कोई रास्ता नहीं सूझता है। इस स्थिति में धैर्य से काम लेना चाहिए। जब परिस्थितियाँ अनुकूल हो जाएं तब शांत दिमाग से उचित निर्णय लेना चाहिए। गुरु की बात शिष्य को अच्छे से समझ आ गई।
कहानी की सीख
जीवन में सुख और दुख आते रहते हैं। कई बार स्थितियां आपके पक्ष में नहीं होती है। ऐसे में इन परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए। उनके ठीक होने का इंतजार करना चाहिए। शांत मन से मुसीबत का हल निकालने के बारे में सोचना चाहिए। पहली ही कठनाई देख हार नहीं मानना चाहिए। यदि आप परिस्थितियों से डरकर भागेंगे तो हमेशा गलत फैसले ही लेंगे।