पंजाब में किसान मुद्दों को प्रमुखता से उछालकर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी की सरकार से किसान मायूस हो गए। मुआवज मांग रहे किसानों को मुआवजे की रकम तो नहीं दी गई, उल्टा उनके ऊपर लाठियां बरसने का आदेश जरूर दे दिया गया। पुलिस के लाठीचार्ज में 7 किसान घायल हुए हैं। इनमें 6 की हालत गंभीर बताई जा रही है।
वहीं किसानों ने आप सरकार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। हाल ही में किसानों को मुद्दा बनाकर ही AAP ने वोट बटोरे थे। इसके बाद लाठीचार्ज का आदेश देकर खुद ही सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। वहीं प्रशासन ने तो उल्टा प्रदर्शन कर रहे किसानों को ही झूठा करार दे दिया है।
कपास की फसल का मांग रहे थे मुआवजा
पंजाब के किसानों भारतीय किसान यूनियन(उगराहां) के बैनर तले आंदोलन कर रहे थे। किसानों का कहना था कि उनकी कपास की फसल बर्बाद हो गई है। इस वजह से सरकार को उनको मुआवजा देना चाहिए। इसी मांग को लेकर किसान लांबी में तहसील कार्यालय के बाहर बैठकर धरना दे रहे थे।
भाकियू नेताओं का आरोप है कि उनकी मांगों को लगातार सरकारी कर्मचारी नजरअंदाज कर रहे थे। इसके बाद किसानों ने भी बड़ा फैसला ले लिया। उन्होंने ऑफिस के बाहर ही धरना देना शुरू किया और अफसरों व कर्मचारियों का रास्ता रोक दिया। किसान कार्यालय में किसी अफसर या कर्मी को नहीं घुसने दे रहे थे।
पुलिस ने बरसा दी लाठियां
किसानों का आरोप है कि तहसील के अफसरों ने गुस्सा होकर पुलिस बुला ली। इसके बाद किसानों पर लाठीचार्ज करने के आदेश दे दिए। भाकियू का दावा है कि पुलिस ने जमकर किसानों को लाठियां मारीं। इस लाठीचार्ज में 7 किसान घायल हो गए। इनमें भी 6 किसान ऐसे हैं जिनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
गंभीर रूप से घायल किसान जिला अस्पताल में भर्ती करवाए गए हैं। वहीं आप सरकार के इस कदम के बाद सियायत में उबाल आ गया है। वहीं दूसरी ओर अफसरों ने किसानों को ही झूठा बता दिया है। मलोट के एसडीएम प्रमोद सिंगला ने कहा कि किसान 50 फीसदी कपास खराब होने का दावा कर रहे हैं जो झूठा है।
गुलाबी सुंडी ने खराब की फसल
नई आप सरकार के इस कदम से सियासी हलचल भी तेज हो गई है। वहीं दूसरी ओर किसान भी आप सरकार का विरोध करने लगे हैं। बीकेयू उगराहां के नेता गुरपक्ष ने दावा किया है कि गुलाबी सुंडी की वजह से कपास की फसल खराब हुई है। उनका कहना है कि ज्यादातर किसानों की नरमा की फसल खराब हुई है।
उन्होंने आप सरकार पर मुआवजे में भी भेदभाव करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मुआवजा देने में मुक्तसर जिले को छोड़ दिया गया। वहीं प्रशासन ने किसानों के दावों को गलत बताया है।