उत्तर प्रदेश में बहुमत के साथ भाजपा की वापसी हो गई। इसके साथ ही 25 मार्च को योगी आदित्यनाथ एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। लखनऊ के क्रिकेट स्टेडियम में पूरी भव्यता के साथ उनका शपथ ग्रहण समारोह मनाया गया। इस अवसर देश की बड़ी-बड़ी हस्तियां समारोह में मौजूद रहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या गृहमंत्री अमित शाह या फिर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सभी स्टेडियम में मौजूद रहे। इनके साथ ही समारोह में बड़े-बड़े उद्योगपतियों को भी बुलाया गया था। सभी अतिथियों के सामने योगी ने सीएम पद की शपथ ली। उनकी शपथ के बाद विपक्ष के नेताओं के बयान भी सामने आए हैं।
कई नेताओं के पत्ते कटे
योगी आदित्यनाथ की टीम में इस बार कई बड़े नेताओं के पत्ते कट गए। वहीं कई ऐसे नेता शामिल हुए जिन्होंने चुनाव तक नहीं लड़ा था। सबसे हैरान करने वाले दो बदलाव पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और मंत्री आशुतोष टंडन रहे। दोनों को ही इस बार योगी की नई टीम में जगह नहीं दी गई, जिससे कार्यकर्ता भी हैरान हो गए।
वहीं केशव प्रसाद मौर्य हारने के बाद भी डिप्टी सीएम की कुर्सी बचाने में कामयाब रहे। वहीं ब्रजेश पाठक इस बार प्रमोशन पाकर कानून मंत्री से डिप्टी सीएम की कुर्सी तक पहुंच गए। वहीं स्वतंत्र देव सिंह से लेकर कुछ नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने चुनाव ही नहीं लड़ा लेकिन मंत्री की कुर्सी पाने में कामयाब हो गए।
जानें विपक्ष के नेताओं के बयान
योगी के शपथ ग्रहण के बाद प्रधानमंत्री समेत दूसरे नेताओं ने उनको बधाइयां दीं। कई राज्यों के सीएम भी वहां मौजूद थे जिनमें एमपी के शिवराज सिंह चौहान और उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी भी थे। दोनों ही नेताओं ने योगी को बधाई दी। दूसरी ओर राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव में हराने वाली स्मृति ईरानी भी वहां मौजूद थीं।
विपक्ष के नेताओं की बात करें तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनका मजाक उड़ाया। वो बोले कि ‘नई सरकार को बधाई कि वो सपा के बनाए स्टेडियम में शपथ ले रही है। शपथ सिर्फ़ सरकार बनाने की नहीं, जनता की सच्ची सेवा की भी लेनी चाहिए।’ वहीं दूसरी ओर मायावती ने संवैधानिक मूल्यों के साथ काम करने की सलाह दी तो राहुल और प्रियंका का कोई रिएक्शन नहीं आया।
अखिलेश बनेंगे योगी की चुनौती
योगी ने सत्ता संभालने के साथ ही फैसले लेने भी शुरू कर दिए हैं। उन्होंने शनिवार यानि आज ही कैबिनेट की बैठक की और गरीबों के मुफ्त राशन योजना को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने दूसरे कई महत्वपूर्ण फैसलों पर भी चर्चा की है। खासकर उनको चुनावी वादे पूरे करने की चुनौती है।
वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव अब योगी के लिए यूपी में चुनौती बनने जा रहे हैं। इसी वजह से उन्होंने लोकसभा सीट को त्याग दिया है और विधायक बनकर यूपी में रहने का फैसला किया है। अब उनका फोकस यूपी की राजनीति कर लोकसभा चुनाव में सपा को एक बार फिर से खड़ा करना है। वो साल 2024 की तैयारी में लग गए हैं और बीजेपी को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में हैं।