भगवान पर जिन लोगों की आस्था होती है, वो उनके मंदिर जाते हैं। उनकी पूजा करते हैं और अपने कष्टों को दूर करने की प्रार्थना किया करते हैं। खासकर जो शिवभक्त होते हैं, उनके भीतर तो अटूट भक्ति होती है। शिवभक्त अपने भगवान से कष्टों को दूर करने के लिए राहत मांगने मंदिरों में आते हैं।
जहां एक ओर भोलेनाथ सबके कष्ट दूर करते हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में उल्टी गंगा ही बह रही है। यहां भोलेनाथ को खुद ही राहत तलाशने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। जी हां ये सुनने में जरूर अजीब लग रहा है लेकिन मामला एकदम सही है। छत्तीसगढ़ में राजस्व कर्मचारियों की वजह से भगवान शिव को ही कोर्ट में पेशी पर आना पड़ा।
रायगढ़ का है मामला
भगवान शिव की पेशी का ये अजीबो-गरीब मामला छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से सामने आया है। ये मामला इस समय पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। मामला अवैध कब्जे से जुड़ा हुआ है। इस मामले में कोर्ट कर्मचारियों ने भगवान शिव को भी नोटिस जारी कर दिया। उनको पेशी के लिए कोर्ट में बुला लिया गया।
दरअसल रायगढ़ के नगर निगम वार्ड 25 में कौहाकुंड क्षेत्र है। यहां सरकारी जमीन और तालाब में कब्जे के लिए 10 लोगों को नोटिस जारी किया गया था। इन लोगों में कोर्ट ने भगवान शिव के नाम का भी नोटिस जारी कर दिया था। इसके साथ ही उनको पेशी में आने के लिए बोला गया था।
नहीं आने पर होती बेदखली की कार्रवाई
कोर्ट ने आदेश दिया था कि नोटिस जिनको भी दी गई है, अगर वो 25 मार्च को पेशी पर नहीं पहुंचे तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। नोटिस में बेदखली की कार्रवाई से लेकर 10 हजार रुपये जुर्माने की भी चेतावनी जारी की गई थी। इसी वजह से भगवान शिव को पेशी के लिए तहसीलदार कोर्ट आना पड़ा।
उनके साथ ही बाकी सभी लोग भी पेशी में आए जिनके नाम नोटिस जारी हुई थी। हालांकि शिवजी से लेकर अन्य लोगों को कोई राहत नहीं मिल सकी। इसकी वजह तहसील कार्यालय में पीठासीन अधिकारी का दूसरे काम में बिजी होना था। इस वजह से सबको वापस जाना पड़ा। किसी को कोई राहत नहीं मिल सकी। इन सब लोगों को अगली तारीख मिल गई है।
शिवलिंग लेकर ही पहुंचे कोर्ट
भगवान शिव के नाम नोटिस जारी होने के बाद समस्या थी कि उनको कैसे कोर्ट पहुंचाया जाये। ऐसे में वार्ड के पार्षद सपना सिदार समेत कई दूसरे लोग भोलेनाथ मंदिर के शिवलिंग को लेकर पेशी में पहुंच गए। आपको बता दें कि नोटिस में 6ठें नंबर पर भगवान शिव का नाम लिखा हुआ है। इसी वजह से हर ओर इस मामले की चर्चा हो रही है।
सबसे हैरानी की बात ये है कि इसमें मंदिर प्रबंधन, पुजारी या किसी अन्य को संबोधित न करते हुए सीधे शिव मंदिर को नोटिस जारी किया गया है। इसी वजह से लोगों को शिवलिंग को लेकर मंदिर आना पड़ा। वहीं दूसरी ओर तहसीलदार के चेंबर के बाहर नोटिस में अगली तारीख लिख दी गई। अब सभी को फिर से 13 अप्रैल को पेशी पर आना है।