एक सफल कंपनी कैसे खड़ी करें? रतन टाटा ने बताए 5 गोल्डन रूल्स
रतन टाटा (Ratan Tata) ये नाम सभी ने सुना है। बहुत से लोग उन्हें अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं। दिलचस्प बात ये है कि वे सभी के फेवरेट हैं। उनके बारे में शायद ही कोई बुरा सोचता है। इसकी वजह ये है कि उनका दिल बहुत बड़ा है। वह लोगों की परवाह करते हैं। फिर वह अमीर हो या गरीब। रतन टाटा लाइफ में 5 गोल्डन रूल्स फॉलो करते हैं। इन्हें अपना आप भी एक सफल लीडर बन सकते हैं।
कर्मचारियों के साथ हमेशा खड़े रहें
रतन टाटा अपने कर्मचारियों का साथ कभी नहीं छोड़ते हैं। उनके हर सुख-दुख में उनके साथ खड़े रहते हैं। उनका मानना है कि आपको अपने कर्मचारियों के प्रति जवाबदेह बनना चाहिए। वह आपके लिए मेहनत कर रहा है। बतौर बिजनेस लीडर यह आपकी ड्यूटी है कि आप अपने शेयरधारकों एवं आपके लिए वर्क करने वालों का ख्याल रखें। उनके साथ हमेशा खड़े रहें। यही वजह है कि टाटा इंडिया में कर्मचारियों की फेवरेट कंपनियों में से एक है।
हर कर्मचारी को खास समझें
कंपनी के कठिन समय में कर्मचारियों का एक्स्ट्रा मेहनत करना जरूरी होता है। लेकिन ये उन पर प्रेशर देकर नहीं आना चाहिए। ये स्वाभाविक उन्हें करना चाहिए। इसके लिए आपको कर्मचारियों की कठिन परिस्थितियों में भी साथ खड़ा होना होगा। उनके दुख को अपना दुख समझना होगा।
कर्मचारी की हर संभव कोशिश करनी होगी। उन्हें एहसास दिलाना होगा कि कर्मचारी कंपनी के लिए मायने रखते हैं। तभी कर्मचारी स्वयं कड़ी मेहनत करने और अच्छा देने के लिए प्रेरित होगा। कर्मचारी और कंपनी एकजुट रहना जरूरी है। यह हर समस्या का समाधान है।
कर्मचारियों की छंटनी हल नहीं
वैश्विक महामारी और लॉकडाउन में पीएम ने कंपनियों से कर्मचारियों की छंटनी न करने का निवेदन किया था। लेकिन अधिकतर कंपनियों ने घाटे को देखते हुए छटनी कर दी थी। रतन टाटा कहते हैं कि आपको कर्मचारियों एक प्रति वफादारी दिखाना चाहिए। छंटनी समस्या का समाधान नहीं है। आपको अपने कर्मचारियों को अच्छे से ट्रीट करना चाहिए। आखिर वे आपको इतने सालों से अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं।
स्वयं को अपडेट रखें व प्रासंगिक बने
युवा पीढ़ी के साथ ताल से ताल मिलाकर चलना हर कंपनी के लिए जरूरी है। उन्हें प्रांसगिक बनना चाहिए। युवा प्रतिभा का इस्तेमाल कर किसी भी कंपनी को सफलता के पायदान पर आगे बढ़ाया जा सकता है। रतन टाटा युवा पीढ़ी के उत्साह की कद्र करते हैं। युवाओं की एनर्जी उन्हें प्रेरित करती है। वे इससे अच्छा फील करते हैं। युवाओं के साथ रहकर वे कभी खुद को बूढ़ा महसूस नहीं करते हैं।
सहानुभूति जरूरी है
रतन टाटा का मानना है कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों संग सहानुभूतिपूर्ण संबंध रखने चाहिए। यदि कर्मचारी खुश रहेगा तो रिजल्ट भी अच्छे देगा। उसकी प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी। एक सख्त बॉस और अस्वस्थ काम के माहौल के चलते कर्मचारी जॉब छोड़ देते हैं। इसलिए उन्हें जॉब छोड़ने पर मजबूर न करें।