मायावती जी जब फाडे गये थे आप के कपडे तो आप को देवी मानने वाले समर्थक कहां थे?
बताया जाता है कि, 1995 का गेस्टहाउस काण्ड जब कुछ गुंडों ने बसपा सुप्रीमो को कमरे में बंद करके मारा और उनके कपड़े फाड़ दिए, जाने वो क्या करने वाले थे कि तभी अपनी जान पर
खेलकर उन गुंडों से अकेले भिड़ने वाले बीजेपी विधायक ब्रम्हदत्त द्विवेदी ने जिनके ऊपर जानलेवा हमला हुआ फिर भी वो गेस्टहाउस का दरवाजा तोड़कर मायावती जी को सकुशल बचा कर बाहर निकाल लाये थे।
ब्रम्हदत्त द्विवेदी संघ के सेवक थे और उन्हें लाठी चलानी भी बखूबी आती थी इसलिए वो एक लाठी लेकर हथियारों से लैस गुंडों से भिड़ गये थे। मायावती ने भी उन्हें हमेशा अपना बड़ा भाई
माना और कभी उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। पूरे यूपी में मायावती बीजेपी का विरोध करती थीं लेकिन फर्रुखाबाद में ब्रम्हदत्त के लिए प्रचार करती थीं।
जब उन्ही गुंडों ने बाद में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी तब मायावती उनके घर गयीं और फूट-फूट कर रोईं। उनकी विधवा ने जब चुनाव लड़ा तब मायावती ने उनके खिलाफ कोई
उम्मीदवार नहीं उतारा बल्कि लोगों से अपील की थी की मेरी जान बचाने के लिए दुश्मनी मोल लेकर शहीद होने वाले मेरे भाई की विधवा को वोट दें।