मायावती जी जब फाडे गये थे आप के कपडे तो आप को देवी मानने वाले समर्थक कहां थे?
कमरों में छिपे विधायकों को लालचंद ने दरवाज अंदर से लॉक करने की हिदायत दी और उन्होंने अभी दरवाजे बंद ही किए थे कि भीड़ में से एक झुंड गलियारे में धड़धड़ाता हुआ घुसा और दरवाजा पीटने लगा।
‘…… (जातिसूचक शब्द) औरत को उसकी मांद में से घसीट कर बाहर निकालो’ भीड़ की दहाड़ सुनाई दी, जिसमें कुछ निर्वाचित विधायक और थोड़ी सी महिलाएं भी शामिल थीं।
दरवाजा पीटने के साथ-साथ चिल्ला-चिल्लाकर ये भीड़ गंदी गालियां देते हुए ब्योरेवार व्याख्या कर रही थी कि एक बार घसीट कर बाहर निकालने के बाद मायावती के साथ क्या किया जाएगा। परिस्थिति बहुत जल्दी से काबू के बाहर होती जा रही थी। क्रोधित भीड़ ने फिर भी नारे लगाना और गालियां देना चालू रखा और मायावती को घसीट कर बाहर लाने की धमकी देती रही।
चश्मदीद गवाहों के अनुसार वे सिर्फ खड़े हुए सिगरेट फूंक रहे थे। आक्रमण शुरू होने के तुरंत बाद रहस्यात्मक ढंग से, अतिथि गृह की बिजली और पानी की सप्लाई काट दी गई-प्रशासन की मिलीभगत का एक और संकेत।