यूं ही अखिलेश ने नहीं किया सांसदी छोड़ विधायक बने रहने का फैसला, ये हैं 5 बड़ी वजहें
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भले ही विधानसभा चुनाव 2022 हार गए हों लेकिन उनकी पार्टी को जो संजीवनी मिल गई है, उससे कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हो गए हैं। अखिलेश ने करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और वो यहां से बड़े अंतर से जीतकर विधायक भी बन गए।
वो लोकसभा सांसद भी थे और अब विधायक भी बन गए। ऐसे में उनके पास सांसद या विधायक दोनों में से एक ही बने रहने का विकल्प था। काफी मंथन के बाद उन्होंने विधायक ही बने रहने का फैसला किया। लोग उनके इस फैसले को समझ नहीं पा रहे हैं। हम आपको 5 ऐसी वजहें बताते हैं कि आखिर क्यों उन्होंने विधायकी ही चुनी।
वजह नंबर 1
अखिलेश यादव को अगर भाजपा से लड़ाई करनी है तो उनको विधानसभा में मौजूद होना होगा। सपा प्रमुख अपने 111 विधायकों के साथ 5 साल तक यूपी की विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भाजपा को सदन से सड़क तक घेर सकते हैं।
ऐसा वो लोकसभा में नहीं कर सकते थे। उनकी पार्टी का वोट प्रतिशत भी 22 से बढ़कर 32 फीसदी तक पहुंच गया है। विधानसभा में बने रहकर ही वो लोकसभा चुनाव की भी अच्छी तैयारी कर सकते हैं।
वजह नंबर 2
अखिलेश के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती उनके कार्यकर्ताओं के उत्साह को बरकरार रखना है। इस बार जिस तरह सपा अध्यक्ष ने सोशल इंजीनियरिंग की थी, कार्यकर्ताओं को यकीन हो गया था कि वो सीएम बनेंगे और पार्टी की सरकार आएगी।
ऐसे में कार्यकर्ता थोड़े हताश जरूर हैं। उनकी इस हताशा को दूर करने के लिए ही अखिलेश यूपी में रहकर ही राजनीति करना चाहते हैं। ताकि कार्यकर्ताओं को 2024 और फिर 2027 के लिए उत्साहित किया जा सके।
वजह नंबर 3
तीसरी वजह दूसरे दलों का घटता जनाधार है। कांग्रेस हो या बहुजन समाज पार्टी, दोनों ही पार्टी इस समय बुरे दौर से गुजर रही हैं। बसपा की बात करें तो उसका फिक्स वोट 22 से घटकर 12 प्रतिशत तक गिर गया है।
ऐसे में अखिलेश यादव ही अकेले नेता बचे हैं जो भाजपा को यूपी में टक्कर दे सकते हैं। अगर वो भी यूपी में रहकर राजनीति नहीं करेंगे तो बसपा का बचा खुचा फिक्स वोट भी बीजेपी को ट्रांसफर हो सकता है।
वजह नंबर 4
अखिलेश यादव अपने कोर वोट बैंक को भी बचाना चाहते हैं। इस चुनाव में साफ हो गया है कि उनका कोर वोट बैंक यादव-मुसलमान ही हैं। लेकिन भाजपा की नजर इनके कोर वोटरों पर बनी हुई है।
विधानसभा में अखिलेश और आजम की जुगलबंदी यादव-मुसलमान वोटरों को बचाये रखने में काफी मदद करेगी। इसी वजह से आजम ने भी सांसदी छोड़ने का फैसला किया। दोनों मिलकर कोर वोट बैंक को बचाना चाहते हैं।
वजह नंबर 5
अखिलेश ने यूपी चुनाव में सुभासपा और रालोद के साथ गठबंधन किया था। सुभासपा के साथ गठबंधन कर उनको पूर्वांचल में फायदा भी हुआ है। हालांकि वो रालोद के साथ भी गठबंधन तोड़ना नहीं चाहते हैं।
अगर अखिलेश यूपी में रहकर राजनीति करते हैं तो इन गठबंधनों को बचाना काफी आसान होगा। सपा 2024 और 2027 की तैयारी आराम से कर सकती है। वहीं अखिलेश के शुभचिंतक भी चाहते थे कि वो यूपी में रहकर राजनीति करें।