UP के तीन सबसे गरीब विधायक: रहने को खुद का मकान तक नहीं, चंद रुपये लेकर लड़े और जीत गए चुनाव
हमारे देश में कोई भी चुनाव हो, धनबल की महिमा सबसे आगे रहती है। जनता को लुभाने के लिए प्रत्याशी बड़े-बड़े काफिले में गुजरते हैं और लोगों को लालच भी देते हैं। कई बार तो वो सफल भी हो जाते हैं क्योंकि जनता भी उनके पैसों के रौब में आ जाती है। यूपी चुनाव भी इससे अछूता नहीं रहा है। यहां भी धनबल का ही बोलबाला दिखा।
एक आंकड़े के मुताबिक इस बार जितने प्रत्याशी चुनाव जीते हैं, उनमें से 91 फीसदी करोड़पति हैं। 403 में से 366 विधायक ऐसे चुने गए जो करोड़पति हैं। अब हम आपको दूसरी तस्वीर दिखाते हैं। हम मिलवाते हैं यूपी के तीन सबसे गरीब विधायकों से जिनके पास रहने को मकान तक नहीं है। बस पैसों का जुगाड़ कर लड़े और चुनाव जीत गए।
अनिल प्रधान
यूपी के तीन गरीब विधायकों में पहला नाम अनिल प्रधान का है। अनिल समाजवादी पार्टी के नेता हैं। अखिलेश यादव ने उनको चित्रकूट सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। उन्होंने भी अखिलेश को निराश नहीं किया और अपनी सीट निकाल ली।
सबसे खास बात है कि अनिल यूपी के सबसे गरीब विधायक हैं। इनके पास कुल 31 हजार रुपये की संपत्ति है। वहीं इनके पास रहने के लिए खुद का निजी मकान तक नहीं है। वहीं इनके पास अपनी कोई जमीन या प्लॉट भी नहीं है।
श्रवण कुमार निषाद
यूपी के दूसरे गरीब विधायक की बात करें तो ये गोरखपुर के श्रवण कुमार निषाद हैं। श्रवण भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं और इनको योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के चौरी-चौरा सीट से पूरे भरोसे के साथ चुनावी समर में उतारा था।
निषाद ने भी भरोसा कायम रखा और यहां से विधायक बन गए। इनकी कुल संपत्ति की बात करें तो इनके पास बस 72 हजार रुपये हैं। इनका न कोई निजी मकान है और न ही कोई भूखंड इनके नाम है। चंद पैसे जुटाकर चुनाव लड़ा और ये जीत भी गए।
गुड़िया कठेरिया
उत्तर प्रदेश की तीसरी सबसे गरीब विधायक का नाम गुड़िया कठेरिया है। गुड़िया की कुल संपत्ति की बात करें तो इनके पास करीब 11 लाख रुपये की संपत्ति है। फिर भी इनके पास न कोई प्लॉट है, नही कोई जमीन या मकान है।
गुड़िया भले ही गरीब हैं लेकिन जनता को इनपर पूरा भरोसा है। इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी ने इनको औरेया सीट से टिकट दिया था। इन्होंने भी पार्टी के भरोसे पर खरा उतरने की ठानी थी। चुनाव में इन्होंने सबको पछाड़ते हुए विधायकी अपने नाम कर ली।
भाजपा-सपा में थी टक्कर
यूपी विधानसभा चुनाव इस बार दोतरफा हो गया था। भाजपा और सपा में ही मुख्य टक्कर थी। बसपा तो पूरी तरह से चुनावी परिदृश्य से ही बाहर हो गई थी। भाजपा ने चुनाव में बाजी मार ली और 273 सीटें भाजपा गठबंधन के खाते में चली गईं। वहीं सपा को 155 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। अब दोनों दलों की टक्कर एमएलसी चुनाव में होने जा रही है। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं।