मरने से ठीक पहले पति नहीं मीना कुमारी ने गुलजार को दी थी अपनी सबसे ख़ास चीज, कभी था दोनों का अफ़ेयर
मीना कुमारी (Meena Kumari) गुजरे दौर की सबसे ख़ूबसूरत और सबसे सफ़ल अभिनेत्रियों में से एक मानी जाती हैं. मीना कुमारी की ख़ूबसूरती का आज भी हर कोई दीवाना है. वहीं उनकी कई फ़िल्में भी काफी चर्चा में रही है. मीना कुमारी ने अपनी निजी जिंदगी से भी ख़ूब सुर्खियां बटोरी है.
बता दें कि मीना कुमारी ने फिल्मकार कमाल अमरोही से शादी की थी. हालांकि दोनों ने तलाक ले लिया था. लेकिन मीना कुमारी ने फिर दोबारा से कमाल से शादी की थी. इस दौरान उन्हें हलाला से भी गुजरना पड़ा था. गौरतलब है कि मीना कुमारी मुस्लिम थीं. उनका असली नाम महजबीं बानो था.
मीना कुमारी को जहां दो बार कमाल अमरोही से शादी करनी पड़ी तो वहीं उनका नाम दिग्गज़ अभिनेता धर्मेन्द्र और मशहूर लेखक गुलजार से भी जुड़ा है. एक समय था जब मीना और गुलजार एक दूजे के बेहद करीब आ गए थे. दोनों के करीब आने का कारण दोनों का एक जैसा शौक माना जाता है.
बता दें कि गुलजार तो अपनी शायरियों को लेकर काफी लोकप्रिय है. वहीं मीना कुमारी को भी शायरी और कविता लिखने का काफी शौक था. वे अक्सर कुछ न कुछ लिखती रहती थीं. इसके गुर उन्होंने मशहूर और दिवंगत शायर कैफी आजमी से सीखे थे. ऐसे में वे गुलजार के भी काफी करीब आ गई थीं.
फ़िल्मी गलियारों में मीना कुमारी और गुलजार के अफ़ेयर की खबरें भी आई है. जानकारी के मुताबिक़ दोनों कलाकार फिल्म ‘बेनजीर’ की शूटिंग के वक्त मिले थे और यहां से दोनों में दोस्ती हो गई थी. दूसरी ओर मीना एवं कमाल की शादीशुदा जिंदगी में अनबन होने लगी थी. इसी बीच मीना कुमारी को गुलजार का सहारा मिला था.
बताया जाता है कि मीना कुमारी की लिखी हुई शायरियों और कविताओं को गुलजार काफी अहमियत देते थे जो कि मीना के पति कमाल ने कभी नहीं दी थी. गुलजार अक्सर मीना की शायरी की तारीफ़ करते थे. मीना ने गुलजार के कहने पर ही फिल्म ‘मेरे अपने’ साइन की थी.
बता दें कि, मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1933 को मुंबई के दादर में हुआ था. वहीं हिंदी सिनेमा की ‘ट्रेजडी क्वीन’ यानी कि मीना का महज 39 साल की उम्र में साल 1972 में निधन हो गया था. वे अपने अंतिम दिनों में लीवर सोरोसिस नाम की बीमारी से लड़ रही थी. तब उन्होंने गुलज़ार के कहने पर ‘मेरे अपने’ साइन की.
वहीं मौत से ठीक पहले गुलजार को मीना ने अपनी लिखी सभी शायरी सौंप दी थी. आगे जाकर गुलजार ने मीना कुमारी की उन शायरियों को ‘मीना कुमारी की शायरी’ नाम से प्रकाशित किया था.