पहली बार गोबर से बने सूटकेस में पेश किया गया बजट, सूटकेस पर लिखा था- ‘गोमय वसते लक्ष्मी’
जब से देश में भगवा पार्टी बीजेपी का प्रभुत्व बढ़ा है तब से दूसरी पार्टियों ने भी भारतीय धर्म और संस्कृति को महत्व देना शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को जब बजट पेश किया तो उनके हाथ में गाय के गोबर से बना ब्रीफकेस था। ये ऐसा पहली बार था जब देश की किसी राज्य सरकार ने गोबर से बने सूटकेस में बजट पेश किया था। खास बात यह रही कि ब्रीफकेस के ऊपर संस्कृत में ‘गोमय वसते लक्ष्मी’ लिखा था, जिसका मतलब है ‘गोबर में लक्ष्मी का वास होता है’।
देश में पहली बार ऐसा हुआ
देश में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी मुख्यमंत्री ने गोबर से बने ब्रीफकेस में बजट पेश किया। आम तौर पर मुख्यमंत्री चमड़े या जूट से बने ब्रीफकेस का इस्तेमाल बजट की प्रति लाने के लिए करते रहे हैं। इस खास ब्रीफकेस को रायपुर गोकुल धाम गौठान में काम करने वाली महिला स्वंय सहायता समूह ‘एक पहल’ ने तैयार किया है।
महिलाओं ने बनाया गोबर का सूटकेस
नगर निगम रायपुर के गोकुल धाम गोठान में काम करने वाली “एक पहल” महिला स्वसहायता समूह की दीदियों ने गोबर एवं अन्य उत्पादों के इस्तेमाल से इस ब्रीफकेस का निर्माण किया। इसी ब्रीफकेस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में बजट पेश किया है। इस ब्रीफकेस की खासियत ये है कि इसे गोबर पाउडर, चुना पाउडर, मैदा लकड़ी एवं ग्वार गम के मिश्रण को परत दर परत लगाकर 10 दिनों की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया है।
बजट के लिए विशेष तौर पर तैयार किए गए इस ब्रीफकेस के हैंडल और कार्नर कोंडागांव शहर के समूह द्वारा बस्तर आर्ट कारीगर से तैयार करवाया गया है।
गाय का गोबर मां लक्ष्मी का प्रतीक
छत्तीसगढ़ में यह मान्यता है कि गोबर मां लक्ष्मी का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ के तीज त्यौहारों में घरों को गोबर से लीपने की परंपरा रही है। इसी से प्रेरणा लेते हुए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोमय ब्रीफकेस का निर्माण किया गया है ताकि मुख्यमंत्री के हाथों इस ब्रीफकेस से छत्तीसगढ़ के हर घर में बजट रूपी लक्ष्मी का प्रवेश हो और छत्तीसगढ़ का हर नागरिक आर्थिक रूप से सशक्त हो सके।
दरअसल, छत्तीसगढ़ में 2021 में गोधन न्याय योजना की शुरूआत हुई थी। इस योजना के तहत राज्य सरकार पशुपालक किसानों से गाय का गोबर खरीदती है। इसके बदले उन्हें पैसे दिए जाते हैं। सरकार ने इसके लिए प्रदेशभर में अलग-अलग गौठानों का निर्माण भी किया है। उनके गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का काम किया जाता है।