8 महीने की प्रेग्नेंट यूक्रेनी पत्नी भारत नहीं आ सकती है, तो पति ने कहा ‘मैं भी नहीं लौटूंगा भारत
युद्ध की त्रासदी मानव के लिए कितनी भयावह होती है इसका अंदाजा इस खबर से लगाया जा सकता है। जंग के बीच एक भारतीय अपनी 8 महीने की प्रेग्नेंट पत्नी के साथ फंस गया है। ऑपरेशन गंगा के तहत सभी भारतीयों को वहां से वापस लाया जा रहा है लेकिन गगन नाम का ये भारतीय अपनी पत्नी की वापसी नहीं करा पा रहा है, इसीलिए वह खुद भी भारत नहीं आ रहा है और अपनी पत्नी के साथ पोलैंड की सीमा पर स्थित एक शहर में शरण लिए हुए है।
यूक्रेन पर रूस लगातार हमले कर रहा है। जंग के बीच वहां से लोग पलायन कर रहे हैं। यूक्रेन के अलग-अलग इलाकों में फंसे भारतीय लोगों को निकालने के लिए मोदी सरकार ऑपरेशन गंगा चला रही है. लेकिन वहां ऐसे कई भारतीय भी फंसे हैं जो किन्हीं मजबूरियों की वजह भारत नहीं आ पा रहे हैं। इन्हीं में से एक गगन हैं जो अपनी पत्नी के साथ फंस गए हैं।
गगन की कठिनाई
एएनआई से बातचीत में गगन कहते हैं- मैं भारतीय नागरिक हूं, लेकिन मेरी पत्नी यूक्रेन की नागरिक है। मुझे बताया गया है कि यहां से सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही निकाला जा रहा है। ऐसे में मुझे अपनी पत्नी को यहां छोड़कर जाना होगा।
I’m an Indian citizen, can go to India but not my wife, who is a #Ukrainian;have been told that only Indians will be evacuated;can’t leave my family here. My wife is 8-months pregnant, will be moving to Poland. We’re currently at a friend’s place in Lviv:Gagan, who fled from Kyiv pic.twitter.com/r3hWJDbgNU
— ANI (@ANI) March 6, 2022
गगन ने कहा- मेरी पत्नी 8 महीने की प्रेग्नेंट है। मैं अपने परिवार को यहां नहीं छोड़ सकता। हमलोग पोलैंड शिफ्ट हो रहे हैं, और अभी हम यूक्रेन के सीमावर्ती शहर लीव में एक फ्रेंड के घर पर ठहरे हुए हैं।
प्रतीक रहे भाग्यशाली
इससे पहले एक भारतीय और यूक्रेनी जोड़े की कहानी सामने आई थी। दोनों की लव स्टोरी किसी बॉलीवुड मूवी की तरह बताई जा रही है। ब्यू ल्यूबोव और प्रतीक ने युद्ध के बीच ही यूक्रेन में शादी कर ली थी और फिर तय किया था कि वो भारत जाकर अपनी रिसेप्शन पार्टी होस्ट करेंगे। और हुआ भी ऐसा ही, उन दोनों ने लौटकर हैदराबाद में पार्टी होस्ट किया।
बता दें कि यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू हुए 12 दिन होने वाले हैं। लेकिन अब तक इस युद्ध का नतीजा नहीं निकल सका है। इसकी वजह से करीब 15 लाख लोगों को यूक्रेन छोड़ना पड़ा है।