पाक को कश्मीर देने पर राजी हो गया था यह PM…लेकिन शर्त सुनते ही बंद हो गई थी नवाज शरीफ की बोलती
भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर का मुद्दा आजादी के बाद से ही गरमाया रहता है। पाकिस्तान कश्मीर पर अपना दावा करता है और इस भाग को भी अपना बताता है। वहीं भारत के इस अभिन्न अंग को लेकर देश ने हमेशा ही मजबूत कदम उठाया है, जिससे पाकिस्तान को हमेशा ही मुंह की खानी पड़ी है।
वैसे तो हमारे सभी प्रधानमंत्रियों ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को कभी भाव नहीं दिया लेकिन क्या आपको पता है कि भारत का एक पीएम कश्मीर पाकिस्तान को देने के लिए राजी हो गया था। जी हां उस प्रधानमंत्री ने कश्मीर के लिए हामी तो भर दी थी लेकिन पाकिस्तान के सामने ऐसी शर्त रख दी थी जिससे उसकी बोलती ही बंद हो गई थी।
ये थे वो मशहूर प्रधानमंत्री
हम जिस प्रधानमंत्री की बात आपको बता रहे हैं वो कोई और नहीं बल्कि चंद्रशेखर थे। उनके तेवरों को देखते हुए राजनीति में वो युवा तुर्क के नाम से मशहूर हुआ करते थे। चंद्रशेखर की राजनीति अलग ढंग की थी। इसी वजह से इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक उनको पसंद किया करते थे।
चंद्रशेखर उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। यहां के बलिया जिले में इब्राहिमपट्टी के साधारण से घर में जन्मे चंद्रशेखर ने शुरू से ही राजनीति में जाने का मन बना लिया था। उन्होंने एक बार कहा था कि वो अगर किसी कुर्सी पर बैठेंगे तो वो प्रधानमंत्री की होगी। इससे कम वो किसी भी पद को नहीं लेना चाहते थे। अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने पीएम पद तक पहुंचने का सपना भी साकार कर लिया।
जानें कैसे की थी पाक की बोलती बंद
ये वाक्या साल 1991 का है। वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने अपनी किताब में इस वाकये का जिक्र किया है। उन्होंने बताया है कि उस वक्त कॉमनवेल्थ सम्मेलन चल रहा था और सभी देश के नेता भाषण दे रहे थे। इसी सम्मेलन में भारत से पीएम चंद्रशेखर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी गए हुए थे।
जब चंद्रशेखर भाषण देकर मंच से उतरे तो उनकी नजर नवाज शरीफ पर पड़ी। इसके बाद दोनों में थोड़ी बातचीत हुई। बातचीत के बाद अनौपचारिक वार्तालाप में चंद्रशेखर ने नवाज से कहा कि आप बदमाशी बहुत करते हैं। इस पर नवाज बोले कि कश्मीर हमें दे दीजिए, सारी बदमाशी खत्म हो जाएगी।
उनकी बात सुनकर चंद्रशेखर ने ऐसी बात कही जिससे पाक पीएम की बोलती ही बंद हो गई थी। चंद्रशेखर बोले कि ठीक है आप कश्मीर को ले लीजिए लेकिन उसके साथ आपको भारत के 15 करोड़ मुसलमानों को भी पाक में लेना होगा। इतना सुनते ही नवाज बगल झांकने लगे क्योंकि पाकिस्तान खुद ही बदहाल था, ऐसे में 15 करोड़ लोगों का बोझ कहां से संभाल पाता।