सूर्य नमस्कार से कर सकते हैं घर पर ही कई रोगों का इलाज
हिन्दू धर्म में सूर्य नमस्कार का धार्मिक महत्व है। साथ ही सूर्य नमस्कार करने से कई शारीरिक लाभ भी होते हैं, जो वैज्ञनिकों ने सिद्ध कर दिया है। सूर्य नमस्कार करते समय व्यक्ति का मुख सूर्य की तरफ होता है। इससे सूर्य की किरणों का सीधा प्रभाव सूर्य नमस्कार करने वाले व्यक्ति पर पड़ता है। ऐसा करने से अगर व्यक्ति की किसी वाहिनी में रक्त जमा हुआ होता है तो वह पिघलकर स्वाभाविक गति से नाढियों में प्रवाहित होने लगता है। इससे रक्तचाप की समस्या से छुटकारा मिलता है। surya namaskar.
सूर्य नमस्कार करने के लिए सबसे पहले सूर्य की तरफ मुँह करके सीधे खड़े हो जाइये। इसके बाद दोनों हाथों को नमस्कार की स्थिति में जोड़कर अंगूठों को कंठकपूर से लगाइए। इसके बाद धीरे-धीरे साँस लेना शुरू करें। जब साँस पूरी तरह से भर जाए तो अपने दोनों हाथों को धीरे-धीरे उपर ले जाइये। शरीर के उपरी भाग को तानकर पीछे की तरफ झुकाएं, लेकिन ध्यान रखें की गिरने वाली स्थिति ना हो जाए। ऐसा करते समय आपके सीने का तनाव आगे की तरफ होना चाहिए।
सूर्य नमस्कार सीखने के लिए ले सकते हैं योग शिक्षक का सहारा:
इसके बाद आप पुनः सीधे खड़े होने वाली स्थिति में आ जाएँ। इसके बाद धीरे-धीरे अपने हाथों को नीचे की तरफ लायें। अपने शरीर को खड़े-खड़े इस तरह दोहरा करें कि आपके दोनों हाथ आपके पैरों के पंजे को छुएं। यह करते समय अपनी नाक को अपने दोनों जाँघों के बीच में रखें। सूर्य नमस्कार एक सर्वांगासन होता है। इसे करने के बाद आपको किसी अन्य आसन करने की जरुरत नहीं होती है। इससे शरीर के हर अंग का व्यायाम हो जाता है। अगर आप पहले खुद से नहीं कर पाते हैं तो किसी योग शिक्षक से पहले सीखें फिर स्वयं करें।
सूर्य नमस्कार से होता है मस्तिष्क का तनाव दूर:
सूर्य नमस्कार करने से शरीर को शांति मिलती है, मानसिक उत्तेजना और मस्तिष्क का तनाव भी दूर होता है। इससे शरीर के पिछले भाग में होने वाली अकड़न भी ख़त्म हो जाती है। सूर्य नमस्कार करने से पुरे शरीर को स्वस्थ्य रखने में मदद मिलती है। इससे सूर्य की किरणें व्यक्ति के फुफ्फुसों में प्रवेश करके सभी रोगों को नष्ट कर देती है। सूर्य इस ब्रह्माण्ड में उर्जा का अप्रतिम स्त्रोत है। पुरे विश्व का आधार सूर्य ही है। सूर्य सोचने, समझने और कार्य करने की शक्ति प्रदान करता है।
हिन्दू धर्म में सूर्य हैं निरोग के देवता:
सूर्य नमस्कार का पूरा फायदा उठाने के लिए सूर्य में पूर्ण श्रद्धा और साधना में विश्वास होना चाहिए। नेत्र के रोगी, निर्बल दृष्टि में सुधार तथा मस्तिष्क शोधन, पेट के रोगों आदि से छुटकारा, तनाव, अनिद्रा का निवारण, कान, नाक, गले आदि की समस्याओं तथा त्वचा रोगों में सुधार, माइग्रेन, डिप्रैशन, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसे रोगों में सूर्य नमस्कार से काफी लाभ प्राप्त होता है। सूर्य को निरोग का देवता कहा जाता है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में रोग से मुक्ति के लिए सूर्य पूजा, सूर्य उपवास और सूर्य नमस्कार के प्रयोग दिए गए हैं। सूर्य नमस्कार करते समय सूर्य का ध्यान करें और उनके विभिन्न नामों को लेते हुए सूर्य नमस्कार करें।