700 साल पुरानी हनुमान मूर्ति, सालों पहले तमिलनाडु से हुई थी चोरी, अब इस देश में मिली
करीब 600-700 साल पुरानी भगवान हनुमान जी की मूर्ति ऑस्ट्रेलिया में मिली है। पीएम मोदी ने रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस बात की जानकारी दी है। आपको बता दें कि ये मूर्ति भगवान आंजनेय्यर हनुमान जी की है।
ऑस्ट्रेलिया में मिली हनुमान जी की मूर्ति
पीएम मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के दौरान 600-700 साल पुरानी हनुमान जी की मूर्ति का जिक्र किया। पीएम ने बताया कि कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु के वेल्लूर से भगवान आंजनेय्यर, हनुमान जी की प्रतिमा चोरी हो गई थी| पीएम ने बताया कि यह मूर्ति इसी महीने ऑस्ट्रेलिया में मिल गई है। भगवान हनुमान जी की इस प्रतिमा को भारतीय मिशन को सौंप दिया गया है।
Tune in to #MannKiBaat February 2022. https://t.co/ajpBQkPkyq
— Narendra Modi (@narendramodi) February 27, 2022
पीएम मोदी ने रविवार को मन की बात में देश की प्राचीन मूर्तियों का जिक्र किया। पीएम ने देश से चोरी की हुई मूर्तियों की बात करते हुए हनुमान जी की इस मूर्ति का जिक्र किया।
पीएम मोदी ने कहा चोरी हुईं मूर्तियां भारत की मूर्तिकला का नायाब उदहारण तो थीं हीं, इनसे हमारी आस्था भी जुड़ी हुई थी। पीएम ने कहा कि हजारों वर्षों के हमारे इतिहास में, देश के कोने-कोने में एक-से-बढ़कर एक मूर्तियां हमेशा बनती रहीं, इसमें श्रद्धा भी थी, सामर्थ्य भी था, कौशल भी था और विवधताओं से भरी हुई थीं। उन्होंने कहा कि हमारी हर मूर्तियों के इतिहास में तत्कालीन समय का प्रभाव भी नज़र आता है।
कनाडा में मिली मां अन्नपूर्णा की मूर्ति
आपको बता दें कि पिछले साल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से ही भारत से चोरी की गई देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति को कनाडा से वापस लाया गया था। यह मूर्ति पीएम मोदी के वर्तमान संसदीय क्षेत्र वाराणसी से वर्ष 1913 के आसपास चोरी हुई थी और तस्करी कर कनाडा भेज दी गई थी।
बनारस शैली में उकेरी गई मां अन्नपूर्णा की यह मूर्ति कनाडा की यूनिवर्सिटी आफ रेजिना में मैकेंजी आर्ट गैलरी की शोभा बढ़ा रही थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नार्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार तैयार किया गया था। वर्ष 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की मूर्तिकार कला विशेषज्ञ दिव्या मेहरा को प्रदर्शनी लगाने के लिए आमंत्रित किया गया था। यहां उन्होंने मूर्ति पर गहन अध्ययन किया। इसी दौरान उन्हें इस मूर्ति के भारत के होने का पता चला।