‘मां आप फरिश्ता हो, आपको पाकर मैं धन्य हूं’ लिखकर छत से कूद गया 10वीं का छात्र, जानें क्यों?
डिप्रेशन एक बहुत बुरी चीज है। इसमें आसपास के लोग साथ न दे तो पीड़ित आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा सकता है। अब ग्रेटर फरीदाबाद स्थित डिस्कवरी सोसायटी का यह दुखद मामला ही ले लीजिए। यहां गुरुवार (24 फरवरी) 10वीं के 16 वर्षीय छात्रा मोहन (बदला हुआ नाम) ने 15 मंजिला सोसायटी की छत से रात करीब दस बजे छलांग लगा दी।
मोहन ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा जिसमें स्कूल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया। मृतक मोहन डीपीएस ग्रेटर फरीदाबाद का स्टूडेंट था। उसकी मां इसी स्कूल में ललित कला की अध्यापिका है। मोहन डिस्कवरी सोसायटी में अपनी मां के साथ रहता था। वह जब मां के पेट में था तभी उसके पिता तलाक लेकर चले गए थे।
गे कहते थे स्कूल के बच्चे
स्कूल के बच्चे मोहन को गे कहकर चिढ़ाते थे। मां और बेटे ने स्कूल प्रबंधन इस मामले में ईमेल से शिकायत की थी। वहीं मौखिक रूप से भी समस्या बताई गई थी। लेकिन आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। लगातार प्रताड़ना झेलते हुए मोहन डिप्रेशन में चला गया था। उसका दिल्ली में इलाज भी चल रहा था।
टीचर ने मदद करने की बजाय कहा बुरा भला
मोहन की मां ने बताया कि 23 फरवरी को बेटे की विज्ञान की परीक्षा थी। वह सवाल समझने हेड मिस्ट्रेस ममता गुप्ता के पास गया था। लेकिन ममता गुप्ता ने उसे डांटकर कहा कि वह अपनी बीमारी का लाभ उठा रहा है। उन्होंने मोहन और उसकी मां को काफी भला बुरा कहा। इसके बाद मोहन रोने लगा था। वह डिस्लेक्सिया का मरीज था।
डिप्रेशन में आकर की खुदखुशी
इस घटना के बाद वह इतना डर गया था कि स्कूल भी नहीं जा रहा था। लेकिन मां के समझाने के बाद वह जाने लगा था। 24 फरवरी मां अपने पिता को दवाई देने उनके घर गई थी। इस दौरान रात लगभग दस बजे मोहन ने 15 मंजिला सोसायटी की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली। लोगों ने उसे अस्पताल में भर्ती भी कराया लेकिन वह दम तोड़ चुका था।
सुसाइड नोट में स्कूल प्रबंधन को बताया जिम्मेदार
मोहन के कमरे से सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें उसने स्कूल प्रबंधन, हेड मिस्ट्रेस ममता गुप्ता व अन्य को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है। थाना बीपीटीपी प्रभारी अर्जुन देव के अनुसार मोहन की शिकायत और बरामद सुसाइड नोट के आधार पर ममता गुप्ता, स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध खुदखुशी को मजबूर करने संबंधित धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है। वहीं सुसाइट नोट फारेंसिक टेस्ट के लिए भेजा गया है।
क्या था सुसाइड नोट में?
मोहन ने अपने सुसाइड नोट में लिखा – प्रिय मम्मा, आप दुनिया की सबसे अच्छी मां हो। मुझे अफोसस है कि मैं बहादुर नहीं बन सका। इस स्कूल ने मुझे मार डाला है। नफरत भरी इस दुनिया में अब मैं और नहीं रह सकता। मैंने जीने की पूरी कोशिश भी की, लेकिन लगता है इस लाइफ को मुझ से कुछ और ही चाहिए। दुनिया मेरे बारे में क्या बोलती है, आप इस पर यकीन मत करो। आप सबसे अच्छी हैं।
मोहन ने सुसाइड नोट में आगे लिखा – फैमिली को मेरी शारीरिक मनोदशा और मेरे साथ जो हुआ उस बारे में बताना। लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह मत करो। यदि मैं मर जाऊं तो अपने लिए कोई नई जॉब खोज लेना। आप एक कलाकार हैं, अपनी काला को जारी रखना। आप फरिश्ता हैं, आपको इस जन्म में पाकर मैं धन्य हूं। मैं मजबूत नहीं हूं, मैं कमजोर हूं , मुझे अफसोस है।