राज्य में फैली महामारी, बचने के लिए सबने डाला कुएं में दूध, अगले दिन दिखा सिर्फ पानी, जानें वजह
मेहनत और ईमानदारी जीवन में बहुत जरूरी है। लेकिन जब ये आपको किसी ग्रुप में करना हो तो लोग कामचोरी और बेईमानी कर जाते हैं। किसी सामूहिक कार्य में वे अपने कदम पीछे हटा लेते हैं। उन्हें लगता है कि मैं ये काम न भी करूं तो चलेगा, बाकी लोग तो कर ही रहें हैं। फ्री में मुझे भी उस काम का फल मिल जाएगा। लेकिन यह सोच कई बार आपको डूबा भी सकती है। चलिए इस सीख को एक कहानी के माध्यम से समझते हैं।
राज्य में फैली महामारी, आकाशवाणी ने बताया उपाय
एक समय की बात है। एक राज्य में एक राजा रहता था। उसे अपनी प्रजा से बेहद प्यार था, इसलिए वह उनका बहुत ख्याल रखता था। एक बार राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। रोज सैकड़ों लोग मरने लगे। राजा ने इस महामारी को रोकने के लिए कई उपाय किए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लोग मरते जा रहे थे।
राजा भगवान से अपने राज्य की रक्षा करने के लिए प्रार्थना करने लगा। फिर एक दिन अचानक आकाशवाणी हुई। आसमान से आवाज़ आई कि “हे राजन! आपके राज्य में एक पुराना सूखा कुआ है। उसमे अमावस्या की रात राज्य के हर घर से एक बाल्टी दूध डालने को कहो। अगली सुबह राज्य से महामारी का नामोनिशान मीट जाएगा।”
जनता को होशियारी पड़ गई महंगी
यह आकाशवाणी सुनते ही राजा ने पूरे राज्य में घोषणा करवा दी कि प्रत्येक घर को महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डालाना पड़ेगा। अब अमावस्या की रात आ गई। सभी लोगों को कुएं में दूध डालना था। गांव में एक चालाक बुढ़िया भी थी। उसने सोचा कि सब लोग तो कुएं में दूध डाल ही रहे हैं, मैं यदि एक बाल्टी पानी डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा?
बुढ़िया ने अमावस्या की रात कुएं में दूध की बजाय पानी डाल दिया। अगली सुबह महामारी खत्म नहीं हुई। लोग फिर भी मर रहे थे। यह देख राजा टेंशन में आ गया। वह कुएं के पास गया तो दंग रह गया। कुआ दूध की बजाय पानी से भरा हुआ था। दरअसल उस चालाक बुढ़िया की तरह गांव के बाकी लोगों ने भी यही सोचा कि मैं दूध की जगह पानी डाल दूं तो किसे पता चलेगा।
बस यही सोच के चलते गांव में किसी ने भी कुएं में दूध नहीं डाला और पानी डालकर कुआं भर दिया। इससे आकाशवाणी की बात सच नहीं हुई। इसलिए कहते हैं अपने काम के प्रति हमेशा ईमानदार रहो। कभी बेईमानी या कामचोरी मत करो।