बेहद गरीबी में दिन काट रही है सीएम योगी की बड़ी बहन, भाई की जीत के लिए रोज करती है पूजा
पीएम मोदी की तरह ही सीएम योगी का परिवार भी बेहद साधारण जीवन-यापन करता है। सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री होने के बावजूद पूरे परिवार की जीवन शैली वैसी की वैसी बनी हुई है। सात भाई-बहनों में सीएम योगी पांचवें नंबर पर हैं। उनकी सबसे बड़ी बहन और उनका परिवार खाने-पीने की छोटी दुकान चलाकर जीविका चलाता है। उनके छोटे भाई योगी आदित्यनाथ दोबारा सीएम बने इसके लिए वो क्या कर रही हैं आपको आगे बताते हैं।
अपने भाई की सफलता की कामना के लिए योगी की बहन पौड़ी गढ़वाल में आस्था के केंद्र नीलकंठ महादेव में रोज़ाना प्रार्थना और पूजा करती हैं। सालों से बहन भाई के बीच एक दूरी है, लेकिन बहन के पास छोटे भाई की कई यादें हैं।
यूपी के मुख्यमंत्री की बहन होने के बावजूद सादगी और मेहनत के लिए मशहूर इस परिवार की आजीविका ही नीलकंठ महादेव के प्रसाद से चलती है। सालों से अपने भाई से दूर इस बहन के दिल में भाई योगी से जुड़ी कई यादें मौजूद हैं।
योगी आदित्यनाथ मूलत: उत्तराखंड के यमकेश्वर क्षेत्र के हैं। उनका जन्म यहां के एक छोटे से गांव पंचूर में हुआ था। यमकेश्वर में ही अपने गुरु की शरण में आकर योगी ने संन्यास ग्रहण कर लिया था। इस बार योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश का इलेक्शन बीजेपी लड़ रही है और इसी रण में जीत के लिए उनका परिवार प्रार्थना कर रहा है।उनका परिवार अब भी पंचूर में रहता है। पिता का कुछ समय पहले ही देहांत हुआ था। सात भाई बहनों में पांचवे नंबर के योगी की सबसे बड़ी बहन शशि हैं, जिनकी एक छोटी सी दुकान है।
योगी की बहन शशि का विवाह कोठार गांव के पूर्ण सिंह पयाल से हुआ था। शशि अपने पति के साथ गांव से रोज़ ढाई किलोमीटर दूर नीलकंठ महादेव पहुंचती हैं। यहां मंदिर के प्रसाद और अन्य खाने पीने की चीज़ों की उनकी छोटी सी दुकान है। शशि का कहना है कि वह रोज अपने भाई की कामयाबी के लिए नीलकंठ महादेव से प्रार्थना करती हैं। बावजूद इसके कि शशि और योगी के बीच सालों की दूरी हो चुकी है।
योगी के संन्यास लेने के बाद नहीं बांधी राखी
शशि का कहना है कि 28 साल से भाई की कलाई पर उन्होंने राखी नहीं बांधी है। हर त्योहार पर अपने भाई को राखी ज़रूर भेजने वाली शशि बताती हैं चूंकि 1994 में योगी ने संन्यास ले लिया था इसलिए तबसे भाई को वह राखी नहीं बांध सकीं। शशि कहती हैं कि योगी को उनके हाथ का पका भोजन भी बड़ा पसंद था, लेकिन सालों से दोनों ने साथ में भोजन भी नहीं किया।
शशि को याद है कि बचपन से ही योगी का स्वभाव अलग था। वह गंभीर प्रवृत्ति के थे इसलिए संन्यास की राह पर गए। वैसे योगी का परिवार अपनी सादगी के लिए ही पूरे क्षेत्र में जाना जाता है। उनके भाई बहन साधारण स्थिति में ही मेहनत करके अपना गुजर-बसर करते हैं। एक मुख्यमंत्री के परिवार होने का उन्हें गुमान नहीं। बस योगी के कल्याण और सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं।