माथे पर भभूत लगाए हुए इस बच्चे ने शतरंज में विश्व चैंपिंयन को हराया, 3 की उम्र से खेल रहा शतरंज
भारत में पूरे विश्व में टक्कर देने वाली प्रतिभाओं की कमी नहीं है। एक ही ऐसी ही प्रतिभा हैं आर प्रज्ञानंद जिन्होंने मात्र 16 साल की उम्र में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हरा कर इतिहास रच दिया है।
बहन से प्रभावित होकर चली पहली बाजी
आर प्रज्ञानंद ने अपनी बहन के शौक से प्रभावित होकर शतरंज को काफी कम उम्र में ही अपने जीवन का हिस्सा बना लिया और उस उम्र में खेल के गुर सीख लिए जब उनकी उम्र के अधिकतर लड़कों को बच्चा कहा जाता है।मात्र तीन बरस की उम्र में प्रज्ञानंद इस खेल से जुड़ गए थे जबकि उनकी बड़ी बहन वैशाली को इसलिए यह खेल सिखाया गया ताकि वो टीवी पर कार्टून देखने में कम समय बिताए।
वर्ल्ड चैंपियन कार्लसन को हराया
सोलह साल के प्रज्ञानंद अभी भारतीय शतरंज के भविष्य माने जा रहे हैं। वर्ष 2016 में मात्र 10 साल और छह महीने की उम्र में प्रज्ञानंद अंतरराष्ट्रीय मास्टर बने तो उन्हें शतरंज में भारत का भविष्य बताया गया। उन्होंने रविवार को अपने करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराया।
विश्वनाथन आनंद, हरिकृष्णा के साथ दर्ज कराया नाम
प्रज्ञानंद की यह उपलब्धि काफी बड़ी है विशेषकर यह देखते हुए कि वह विश्वनाथन आनंद और पी हरिकृष्णा के बाद सिर्फ तीसरे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने गत विश्व चैंपियन कार्लसन को हराया है।
ऐसे परिवार में शुरू हुआ शतरंज का शौक
बैंक में काम करने वाले पोलियो से ग्रसित पिता रमेशबाबू और मां नागलक्ष्मी चिंतित थे कि प्रज्ञानंद की बड़ी बहन वैशाली टीवी देखते हुए काफी समय बिता रही है। वैशाली को शतरंज से जोड़ने के पीछे यह कारण था कि उन्हें उनके पसंदीदा कार्टून शो से दूर किया जा सके।
किसे पता था कि वैशाली को देखकर प्रगाननंदा की भी रुचि जागेगी और वह इस खेल में अपना नाम बनाएंगे। रमेश बाबू ने कहा हमें खुशी है कि दोनों बच्चे खेल में सफल रहे हैं। इससे भी महत्वपर्ण यह है कि हमें खुशी है कि वे खेल को खेलने का लुत्फ उठा रहे हैं।’’
माता-पिता का रहा अहम रोल
प्रज्ञानंद और वैशाली की मां नागलक्ष्मी टूर्नामेंट के लिए दोनों के साथ जाती हैं और घर पर रहकर उनके मुकाबले भी देखती हैं। रमेशबाबू ने कहा, ‘‘इसका श्रेय मेरी पत्नी को जाता है जो उनके साथ टूर्नामेंट के लिए जाती है और काफी समर्थन करती है। वे दोनों का काफी ख्याल रखती है।’’ इसके अलावा रमेश बाबू भी बच्चों का हर तरह से हौसला बढ़ाने में पीछे नहीं रहते।
महिला ग्रैंड मास्टर हैं वैशाली
महिला ग्रैंडमास्टर 19 साल की वैशाली ने कहा कि शतरंज में उनकी रुचि एक टूर्नामेंट जीतने के बाद बढ़ी और इसके बाद उनका छोटा भाई भी इस खेल को पसंद करने लगा। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं छह साल के आसपास की थी तो काफी कार्टून देखती थी। मेरे माता पिता चाहते थे कि मैं टेलीविजन से चिपकी नहीं रहूं और उन्होंने मेरा नाम शतरंज और ड्रॉइंग की क्लास में लिखा दिया।’’
2018 में ग्रैंड मास्टर बने प्रज्ञानंद
चेन्नई के प्रज्ञानंद ने 2018 में प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल किया। वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले भारत के सबसे कम उम्र के और उस समय दुनिया में दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे। प्रज्ञानंद सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर की सर्वकालिक सूची में पांचवें स्थान पर हैं। भारत के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आंनद ने भी उनका मार्गदर्शन किया है।
प्रज्ञानंद के कोच आरबी रमेश का मानना है कि कोविड की वजह से टूर्नामेंट के बीच लंबे ब्रेक से संभवत: उनका आत्मविश्वास प्रभावित हुआ लेकिन एयरथिंग्स मास्टर्स ऑनलाइन प्रतियोगिता में कार्लसन के खिलाफ जीत से उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा होगा।
प्रज्ञानंद को क्रिकेट का भी शौक है और उन्हें जब भी समय मिलता है तो वह मैच खेलने के लिए जाते हैं।