राजा ने मजदूर को दिया चंदन का बाग, कुछ समय बाद बन गया कोयले की खदान, जानें कैसे
किस्मत हमे आगे बढ़ने के कई मौके देती है, लेकिन कुछ लोग अपनी अज्ञानता और आलस के चलते उस सुनहरे अवसर को बर्बाद कर देते हैं। वह वर्तमान में मौजूद संसाधन और समय का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। फिर उनके पास बाद में पछताने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता है।
राजा ने गरीब को दिया चंदन का बाग
एक समय की बात है। एक राज्य में एक परोपकारी राजा रहता था। राजा के पास एक बेहद सुंदर और विशाल चंदन का बाग था। इस चंदन के पेड़ों से वह तेल और इत्र तैयार करता था। एक दिन राजा सैनिकों के साथ रजा का हाल जानने निकला। लौटते में अंधेरा हो गया और वह रास्ता भटक एक घने जंगल में जा पहुंचा।
राजा को जंगल में एक भील की कुटिया दिखी। यहां राजा ने रातभर विश्राम किया। भील ने राजा के लिए स्वादिष्ट भोजन का प्रबंध भी किया। इस दौरान राजा ने भील से उसके आजीविका का साधन पूछा। भील ने बातया कि वह रोज जंगल में लकड़ी काट उसका कोयला बनाता है और बाजार में बेच देता है।
भील की सेवा से खुश होकर राजा ने उसे तोहफे में अपना चंदन का बाग दे दिया। राजा ने कहा कि “अब तुम इन चंदन के पेड़ों से आजीविका चलाओ।” भील ने खुशी-खुशी चंदन का बाग लिया और वहाँ कुटिया बनाकर रहने लगा।
बहुमूल्य चंदन के बाग को बना दिया कोयले की खदान
काफी समय बीत गया। एक दिन राजा का अपने चंदन के बाग में घूमने का मन हुआ। जब वह वहाँ पहुंचा तो बाग की हालत देख क्रोधित हो गया। उसका सुंदर चंदन का बाग कोयले की खदान बना हुआ था। जब राजा ने भील से इसकी वजह जानी तो वह बोला कि “महाराज! मैं रोज इन पेड़ों को काटकर इसका कोयला बनाता हूं और बाजार में जाकर बेच देता हूं।”
राजा ने भील से कहा कि “आज तुम कोयले की बजाय इन पेड़ों की लकड़ी बाजार में बेचकर आओ।” जब भील इन लकड़ियों को बेचकर आया तो बड़ा खुश दिखा। उसने राजा को बताया कि मैंने इन लकड़ियों को कोयले की तुलना में कई अधिक कीमत पर बेचा। आखिर भील को राजा की बात समझ आई और अपने किए पर पछतावा हुआ।
भील राजा से बोला कि “मुझे माफ कर दे महाराज। मैंने अपनी मूर्खता से आपके बहुमूल्य चंदन के बाग को कोयले की खदान में बदल दिया। अब मैं क्या करूं?” इस पर राजा बोले “जो बीत गया उसे भूल जाओ। अब जो पेड़ बचे हैं उनसे तुम एक नए बाग का निर्माण करो। इससे तुम्हारा भविष्य सुधर जाएगा।
कहानी की सीख
लाइफ में जब भी हमे कोई सुनहरा अवसर मिले तो उसे व्यर्थ न जाने दे। उस मौके का पूरा फायदा उठाए। अपने ज्ञान को बढ़ाए। सही दिशा में कदम उठाए।