ना अंबानी, ना आडानी, ना शाहरुख, ना अमिताभ, ये हैं इकलौते भारतीय जिनके पास है ये सुपर कार
भारत के सबसे अमीर लोगों के पास भी दुनिया की ये सुपर कार नहीं जो इस भारतीय के पास है। ये पूरी दुनिया का इकलौता भारतीय है जिसके पास ऐसी शानदार कार है। हम बात कर रहे हैं बुगाटी कंपनी की सुपर कारों के बारे में। दुनिया में इसके मालिकों की संख्या कुछ सौ ही लोगों तक सीमित है। कई बार ऐसी भी खबरें उड़ी थीं कि शाहरुख खान या अन्य फिल्म सेलिब्रिटी के पास बुगाटी वेरॉन या बुगाटी के दूसरे मॉडल की कार हैं। लेकिन अब तक इस बात में कोई भी सच्चाई नहीं दिखी है।
11 करोड़ से शुरू होती है कीमत
बुगाटी कारों की कीमत 11 से 12 करोड रुपए से तो शुरू होती है लेकिन आपको यह भी जान कर आश्चर्य हो जाएगा कि अमेरिका में रहने वाले मयूर श्री नामक भारतीय के पास बुगाती शिरॉन सुपर कार भी है जिसकी कीमत लगभग 22 करोड़ रु है।
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मयूर श्री ने पापा को गिफ्ट की ये कार
वही मयूर श्री के बारे में ऐसा भी कहा जा रहा है कि वह दुनिया के इकलौते भारतीय हैं जिनके पास यह सुपरकार हैं और इसकी कीमत लगभग 22 करोड रु से भी ज्यादा है। हालांकि विदेशों में रहने वाले काफी सारे भारतीयों के पास बुगाटी वेरॉन दिख जाती हैं जिसकी कीमत 12 करोड़ के आस पास की है लेकिन मयूर ही एकमात्र ऐसे एन आर आई है जिनके पास 22 करोड़ वाली बुगाती सिरॉन है। उन्होंने अपने पापा को गिफ्ट के तौर पर यह सुपर कार दी है।
महंगी कारों के शौकीन हैं मयूर श्री
मयूर श्री के पास लैम्बोर्गिनी, एस्टन मार्टिन, पोर्श, मैक्लॉरेन, रॉल्स रॉयस समेत दुनियाभर की प्रमुख लग्जरी कारें हैं। मयूर श्री अमेरिका के डलास में वह रहते हैं और रियल स्टेट का कारोबार करते हैं।
कितने बड़े कारोबारी हैं मयूर?
अमेरिका में रहने वाले मयूर का कारोबार दक्षिण अफ्रीका में भी काफी फैला हुआ है। डर्बन में भंडार गृहों का नेटवर्क मयूर के परिवार का बिज़नेस है। डैलास न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में मयूर ने बताया कि साउथ अफ्रीका में फ्रूट्स का जितना एक्सपोर्ट होता है, पूरा उनके कोल्ड स्टोरेज वेयरहाउस नेटवर्क से होकर ही जाता है।
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मयूर के मुताबिक साउथ अफ्रीका से अमेरिका शिफ्ट होने के लिए उनके परिवार को अमेरिकी नियमों के मुताबिक EB-5 visa के तहत ग्रीन कार्ड पाने के लिए कम से कम 5 लाख डॉलर का निवेश अमेरिकी बिज़नेस में करना था और जॉब पैदा करने थे। इसके लिए मयूर और उनके परिवार ने अमेरिका के प्रॉपर्टी और रियल एस्टेट सेक्टर में काफी निवेश किया।
इससे पहले, मयूर के पूर्वज भारत से 1860 के आसपास गुलामी के करार के तहत दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे। मयूर के दादा ने फैक्ट्री कामगार के तौर पर करियर शुरू किया था जबकि उनके पिता ने अफ्रीका में ही कसाईखाने से शुरूआत की थी। अब यह खानदान दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के अमीरों में शुमार है।