ट्रैक्टर के आगे के टायर छोटे, लेकिन पीछे के बड़े क्यों होते हैं? वजह बड़ी दिलचस्प है
भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। इस देश की लगभग 70 फीसदी आबादी आज भी खेती बाड़ी पर डिपेंड है। खेती करने वाले हर किसान के पास एक ट्रैक्टर जरूर होता है। ये ट्रैक्टर खेती करने में बहुत काम आता है। इस ट्रैक्टर की सहायता से किसान आसानी से अपना काम कर लेते हैं।
यदि आप ने नोटिस किया हो तो ट्रैक्टर में आगे की ओर छोटे टायर जबकि पीछे की तरफ बड़े टायर लगे होते हैं। ऐसे में क्या आप ने कभी इसकी वजह जानी है? आखिर आगे और पीछे के टायरों के साइज़ में इतना बड़ा अंतर क्यों रखा जाता है? जबकि कार में तो ऐसा बिल्कुल नहीं होता है। चलिए जानते हैं।
ट्रैक्टर के हर टायर का होता है एक खास उद्देश्य
दरअसल ट्रैक्टर के आगे और पीछे के टायरों का उद्देश्य अलग-अलग होता है। ये ट्रैक्टर की हैंडलिंग, उसकी ग्रिप, बैलेंस, तेल की खपत जैसी चीजों में भिन्न-भिन्न रोल प्ले करते हैं। ये सभी चीजों को दिमाग में रखकर ही ट्रैक्टर के टायर डिजाइन किए जाते हैं।
इसलिए छोटे होते हैं ट्रैक्टर के अगले टायर
ट्रैक्टर के आगे लगे छोटे टायरों से दिशा तय होती है। ये टायर सीधे स्टेयरिंग से जुड़े रहते हैं। जब स्टेयरिंग को घुमाया जाता है तो ये भी घूमने लगते हैं। इनका साइज़ छोटा होने का फायदा ये होता है कि इसे स्टेयरिंग से घुमाना आसान हो जाता है। वहीं मोड़ पर जगह कम होने पर भी इसे आसानी से घुमाया जा सकता है। इसके अलावा छोटे टायर होने के चलते इंजन पर भार भी कम पड़ता है। इससे तेल की खपत भी कम होती है।
ट्रैक्टर के पिछले टायर इसलिए होते हैं बड़े
खेती बाड़ी और गांव में इस्तेमाल होने के चलते ट्रैक्टर को कच्चे रास्तों, मिट्टी और कीचड़ में अधिक चलना पड़ता है। यह कार या बाइक के मुकाबले ऐसी जगहों पर ज्यादा अच्छे से चलता है। इसके यहाँ फँसने के चांस भी बेहद कम होते हैं। इसकी वजह इसके पिछले लगे बड़े और नुकीलें टायर होते हैं।
इन बड़े टायरों की वजह से ट्रैक्टर की कीचड़ और मिट्टी में पकड़ मजबूत बनती है।ये कीचड़ में आसानी से धंसता नहीं है। वहीं ट्रैक्टर के आगे बड़ा और भारी इंजन लगा होता है। ऐसे में पीछे लगे ये बड़े टायर ट्रैक्टर के वजन को बराबर रखने का कार्य भी करते हैं। इसके अलावा जब ट्रैक्टर लोड खींचता है तो दोनों बड़े टायर ट्रैक्टर को आगे से उठने नहीं देते हैं।
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