शौहर से पहले बेटी को ‘दूध’ पिलाया तो दे दिया ‘तीन तलाक’: बीवी की शिकायत पर दर्ज हुआ केस
मुस्लिम समुदाय में ‘तीन तलाक’ की प्रथा महिलाओं के शोषण का शुरू से हथियार रही है। मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक के खिलाफ कानून आ गया है जिसका फायदा इन महिलाओं के मिल रहा है और उनकी शिकायत पर इस कानून के आधार पर केस भी दर्ज हो रहे हैं। लेकिन सदियों से चली आ रही ये कुप्रथा पुरुषों के दिमाग में अब भी घर किए हुए है और वे बड़े अजीबो-गरीब आधार पर अपनी बीवी को तालाक दे देते हैं। ऐसा ही एक मामला गुजरात के अहमदाबाद से सामने आया है जहां बीवी ने शौहर से पहले बेटी को दूध पिला दिया तो उसने बीवी को तीन तलाक दे दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना अहमदाबाद के करंज की है। तीन तलाक देने के मामले में 31 वर्षीय पीड़ित मुस्लिम महिला ने मंगलवार को अपने शौहर समेत ससुराल के लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया। इसके साथ ही पीड़िता ने मानसिक प्रताड़ना और मारपीट का आरोप भी लगाया है।
पीड़ित मुस्लिम महिला का आरोप है कि 2008 में उसका निकाह हुआ था, जिसके बाद वो अपने शौहर के साथ नादियाड़ शिफ्ट हो गई थी। लेकिन तभी से ससुराल के लोगों ने दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। पीड़िता के मुताबिक, उसका शौहर बेरोजगार है, इसलिए भी दहेज के लिए डिमांड बढ़ती जा रही थी। इसी को लेकर वो उसके साथ आए दिन मारपीट करता था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट की अनुसार पीड़ित मुस्लिम महिला के सास-ससुर और शौहर ने दिसंबर 2021 में ही उसे अपने अम्मी-अब्बू से 1 लाख रुपए का दहेज लाने के लिए कहा था। इसके बाद से ही लगातार उसके साथ मारपीट होती रहती थी। इसी तरह से घटना वाले दिन भी पीड़िता के शौहर ने दहेज को लेकर उसके साथ गाली-गलौच और मारपीट की।
शौहर से पहले बेटी को दूध पिला दिया
इसी दौरान रात के करीब 10 बजे पीड़िता की पाँच साल की बेटी ने उससे दूध औऱ स्नैक्स मांगा तो वो उसे दूध पिलाने लगी। उसी वक्त शौहर ने भी उससे दूध माँगा, लेकिन पहले बेटी को दूध पिलाने से नाराज शौहर ने पीड़िता को उसके अम्मी-अब्बू और तमाम रिश्तेदारों के सामने ही तलाक-तलाक-तलाक कह दिया। पीड़िता के भाई ने मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। इस बीच अहमदाबाद आकर पीड़िता ने केस दर्ज करा दिया
तीन तलाक कानून
गौरतलब है कि मुस्लिम महिलाओं को इस कुप्रथा से आजादी दिलाने के लिए मोदी सरकार ने जुलाई 2019 में पास हुआ था औऱ इस कानून को अगस्त 2019 में राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी। तीन तलाक़ क़ानून के तहत 3 साल की सज़ा और जुर्माने का भी प्रावधान है।