इस बार शिव और सिद्ध योग में मनाई जाएगी फाल्गुन अमावस्या। जानिए तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ‘फाल्गुन अमावस्या’ कहते हैं। इस दिन का महत्व हिंदू धर्म ग्रन्थों के मुताबिक बहुत ज्यादा है और इस दिन नदियों में स्नान करने और दान देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके अलावा कहते हैं कि यह अमावस्या पितरों को मोक्ष दिलाने वाली होती है। ऐसे में पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले दान, तर्पण, श्राद्ध आदि के लिए यह दिन बहुत ही अच्छा माना जाता है। आइए ऐसे में जानें इस बार यह अमावस्या किस दिन पड़ रही है और कितने बजे से लेकर कितने बजे के बीच शुभ समय रहेगा…
हिंदू धर्मावलंबियों के लिए वैसे तो प्रत्येक मास की अमावस्या का बहुत महत्व होता है। लेकिन फाल्गुनी अमावस्या का अपना ही एक विशेष महत्व होता है और कहते हैं कि यह अमावस्या हिंदू वर्ष की अंतिम अमावस्या भी होती है। ऐसे में इस वर्ष फाल्गुन माह का प्रारंभ 17 फरवरी से हो चुका है। वहीं, फाल्गुन अमावस्या 02 मार्च के दिन यानी बुधवार को पड़ रही है।
बता दें कि इस दिन नदियों में स्नान करने और दान देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा फाल्गुन अमावस्या को पितरों के लिए विशेष पूजा पाठ का आयोजन भी किया जाता है और उनकी आत्म तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म होता है। ऐसे में पंचांग के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 01 मार्च दिन मंगलवार को देर रात तकरीबन एक बजे से हो रहा है और इस समय महाशिवरात्रि का समापन होगा। वहीं फाल्गुन अमावस्या तिथि 02 मार्च को रात 11 बजकर चार मिनट तक मान्य रहेगी।
गौरतलब हो कि इस साल की फाल्गुन अमावस्या शिव एवं सिद्ध योग में पड़ रही है और इस दिन शिव योग सुबह आठ बजकर 21 मिनट तक है। वहीं इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा। जो यह 03 मार्च को प्रात: 05 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
मालूम हो कि वैसे तो साल भर में 12 अमावस्याएं आती हैं। ऐसे में यदि आप निरंतरता में प्रत्येक अमावस्या को पितरों हेतु श्राद्ध नहीं कर पाते हैं तो कुछ अमावस्याएं विशेष तौर पर सिर्फ श्राद्ध कर्म के लिए शुभ मानी जाती हैं और फाल्गुन मास की अमावस्या उन्हीं में से एक है। यह अमावस्या सिर्फ श्राद्ध कर्म ही नहीं बल्कि कालसर्प दोष के निवारण हेतु भी विशेष महत्व रखती है।
ऐसे में अगर आप अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं अपने जीवन में आ रही विपदाओं से परेशान हैं। तो इस दिन विधि विधान के साथ नदियों में स्नान और दान-पुण्य कर सकते हैं और ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन के आपके अच्छे कामों से अगर पितर प्रसन्न हो जाते हैं तो वे संतान के खुशहाल जीवन का आशीष देते हैं। इसके अलावा उनकी कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि भी आती है।
वहीं आखिर में बता दें कि फाल्गुनी अमावस्या पर कई धार्मिक तीर्थों पर फाल्गुन मेलों का आयोजन भी होता है और साथ ही साथ इस दिन गंगा स्नान का अपना एक महत्व है। इसके अलावा इस दिन भगवान शिव शंकर और भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान भी है।