बर्फ़बारी होने से पहले जम्मू-कश्मीर में चार बड़े आतंकी हमले होने की आशंका
नई दिल्ली: सूत्रों से पता चला है कि पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन की भारत के कश्मीर पर बुरी नजर है। वह बर्फ़बारी से पहले कश्मीर में चार बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दे सकते हैं। लश्कर-ए-तोयबा के को-फाउंडर और संगठन में हाफिज़ सईद के बराबर के मौलाना आमिर हमजा के नार्थ-ईस्ट प्लान से इसकी पुष्टि होती है। एक वीडियो में श्रीनगर को आतंकी हमलों से दहलाने की बात कही गयी है। अपने वीडियो में आमिर हमजा ने भूटान, सिक्किम, डोकलाम और श्रीनगर में लड़ने की बात कही है।
शरद ऋतु में बढ़ जाती है आतंकियों की ज्यादा घुसपैठ:
भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों ने यह कहा है कि आतंकी बर्फ़बारी से पहले ही यह हमला कर सकते हैं। ख़ुफ़िया एजेंसियों ने यह भी बताया कि जब शरद ऋतु की शुरुआत होने वाली होती है उस समय सीमा पर आतंकियों की घुसपैठ ज्यादा बढ़ जाती है। बर्फ़बारी से पहले ही आतंकी घुसपैठ करते हैं, क्योंकि बर्फ़बारी के बाद सभी पहाड़ी रास्ते बंद हो जाते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए सेना ने सीमा पर सुरक्षा बलों की सतर्कता बढ़ा दी है।
श्रीनगर में हिजबुल मुजाहिद ने 5 आतंकी पकड़े गए थे, उनसे भी इस बात की पुष्टि की जा चुकी है। उन्होंने बताया था कि हिजबुल और लश्कर मिलकर किसी बड़े आतंकी हमले की तैयारी कर रहे हैं। पकड़े गए आतंकी कश्मीर के पुलवामा जिले के रहने वाले हैं। पकड़े गए आतंकियों की पहचान मस्तान सबा,इशफाक अहमद डार, आरिफ अहमद डार, मसरत अहमद डार और निसार अहमद लोन के रूप में की गयी है।
बर्फ पिघलने के बाद बढ़ जाता है घुसपैठ का खतरा:
भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर 12 फुट ऊँची और 7 फुट चौड़ी कटीली तारों की बाड़ लगाई गयी है, जो एक दुसरे के समानान्तर है। इन दोनों के बीच 8 बीच का फासला है लेकिन बर्फ़बारी के दौरान यह ठीक से काम नहीं करती है। जब बारी बर्फ़बारी होती है तब हर साल कई करोड़ रूपये की बाड़ खराब हो जाती है। इसी का फायदा आतंकवादी घुसपैठ के दौरान उठाते हैं।
बर्फ पिघलने के बाद घुसपैठ का खतरा बढ़ जाता है और साथ में कई चुनौतियाँ भी उठानी पड़ती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की 1 किमी की दुरी तक का बाड़ लगाने में 8 करोड़ रूपये का खर्च आता है। हर साल 83 किमी की बाड़ ख़राब हो जाती है। नियंत्रण रेखा पर 2004 से बाड़ लगाई गयी है। सूत्रों से यह भी खबर मिली है कि आतंकवादी संगठन पंजाब सीमा से सटे गाँवों में अपने स्लीपर सेल्स की मदद से हथियार पहुंचवाने का काम कर रहे हैं।