अहमदाबाद सीरियल बम धमाके में 13 साल बाद सजा का ऐलान। 38 को फांसी और 11 को आजीवन कारावास
इतिहास का ऐसा पहला बम ब्लास्ट जिसमें सर्वाधिक आरोपियों को मिली मृत्युदंड की सजा। जानिए पूरी कहानी
अहमदाबाद (गुजरात)! अहमदाबाद में 2008 में हुए बम धमाकों के दोषियों को 13 साल बाद आज सजा सुनाई गई। जी हां गुजरात की विशेष अदालत ने 13 साल पहले हुए सीरियल बम ब्लास्ट के 38 दोषियों को सजा-ए-मौत दी है। वहीं 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। बता दें कि कोर्ट ने पिछले मंगलवार को इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी और 49 लोगों को पहले ही दोषी करार दिया था।
वहीं जानकारी के लिए बता दें कि अदालत ने इस मामले में 49 लोगों को दोषी करार दिया था। जबकि 28 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था और 13 साल से अधिक पुराने इस मामले में अदालत ने पिछले साल सितंबर में मुकदमे की कार्यवाही पूरी कर ली थी। इसके अलावा पुलिस ने दावा किया था कि आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े लोगों ने साल 2002 में गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए इन हमलों को अंजाम दिया था, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोग मारे गए थे।
मालूम हो कि 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट की अवधि में हुए 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद को पूरी तरीक़े से हिला कर रख दिया था और इन बम धमाकों में तक़रीबन 56 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए थे।
वहीं अब स्पेशल कोर्ट ने यूएपीए एक्ट और आईपीसी के सेक्शन 302 के प्रावधानों के तहत सजा का ऐलान किया है और स्पेशल जज एआर पटेल ने फैसला सुनाने के दौरान ब्लास्ट्स में जान गंवाने वाले लोगों के परिजन को एक लाख रुपए, गंभीर रूप से जख्मी हुए लोगों को 50 हजार रुपए और हल्के तौर पर चोटिल हुए लोगों को 25 हजार रुपए मुआवजे का भी ऐलान किया।
इसके अलावा बता दें कि कोर्ट ने 48 दोषियों पर 2.85 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया और जिन दोषियों को मृत्युदंड की सजा का ऐलान हुआ है। उनमें सिर्फ उस्मान अगबत्तीवाला ही आर्म्स एक्ट के तहत दोषी है, जबकि इस पर 2.88 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
वहीं इस मामले की सुनवाई ऑनलाइन माध्यम से हुई, जिसमें जेल में बंद सभी दोषी भी हाजिर हुए। कोर्ट ने इस केस को “रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस” करार दिया। इसके अलावा इस केस के साथ जो सबसे रोचक बात जुड़ी है, वो ये है कि यह देश के इतिहास की पहली ऐसी घटना बनी है। जब किसी मामले में दोषियों को इतनी बड़ी तादाद में फांसी की सजा सुनाई गई। इसके पहले राजीव गांधी की हत्या के मामले में भी 26 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
आख़िर में बताते चलें कि जब 13 साल पहले अहमदाबाद ब्लास्ट से दहल उठा था। उसके बाद गुजरात की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 जिंदा बम बरामद किए थे, जिनमें से 17 वराछा इलाके के और अन्य कतारगाम, महिधरपुरा और उमरा इलाके के थे। वहीं जांच में यह पता चला था कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था। इसके अलावा मालूम हो कि अभी भी इस ब्लास्ट में शामिल आठ अन्य आरोपियों की तलाश जारी है और इस सीरियल ब्लास्ट का मास्टर माइंड यासीन भटकल दिल्ली की जेल में, जबकि अब्दुल सुभान उर्फ तौकीर कोचीन की जेल में बंद है।