वो विलेन जिसने अमिताभ को बनाया सुपरस्टार, दोस्त की बहन ने कहा था- ऐसे बदमाश को घर मत लाया करो
इस एक्टर को देख लोगों ने बच्चों के नाम 'प्राण' रखने कर दिए बंद
12 फरवरी 1920 को दिल्ली में जन्मे दिग्गज़ और दिवंगत अभिनेता प्राण (Pran) की आज 102वीं जयंती है. अभिनेता का पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद था हालांकि फिल्मों में वे केवल ‘प्राण’ नाम से ही पहचाने गए. प्राण ने अपने करियर में 350 से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया था और वे हिंदी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय खलनायक कहलाए.
दर्शकों और फ़िल्मी दुनिया के लोगों ने प्राण को ‘विलेन ऑफ़ दमन मिलेनियम’ का टाइटल दिया था. इस टोटल से हिंदी सिनेमा में प्राण के कद का अंदाजा लगाया जा सकता है. उन्होंने फिल्मों में सकारात्क भूमिकाएं भी अदा की थी लेकिन उन्हें अधिकतर खलनायक के किरदार अदा करने के लिए ही जाना जाता है.
प्राण ने कई फिल्मों में विलेन की भूमिका अदा की है और उनका अभिनय इस दर्जे का होता था कि लोगों ने अपने बच्चों का नाम ‘प्राण’ रखना छोड़ दिया था. साल 1940 में प्राण के फ़िल्मी करियर की शुरुआत हुई थी. उन्होंने हिंदी सिनेमा से पहले पंजाबी सिनेमा में काम किया था.
एक दिन वे पान की दुकान पर खड़े थे तब ही उन्हें पंजाबी फिल्मों के लेखक वली मोहम्मद ने देखा और उन्हें फिल्म ‘जट यमला पगला’ ऑफर कर दी. यह फिल्म साल 1940 में प्रदर्शत हुई थी और फिर प्राण ने पाकिस्तान के लाहौर में साल 1942 से साल 1947 तक 22 फिल्मों में खलनायक की भूमिका अदा की.
साल 1947 में हुए भारत विभाजन के दौरान कुछ समय तक प्राण का फ़िल्मी करियर भी प्रभावित रहा. लेकिन उन्होंने फ़िल्मी दुनिया को नहीं छोड़ा और साल 1948 में उन्होंने देव साहब की फिल्म ‘जिद्दी’ से वापसी की. साल 1950 से लेकर साल 1980 तक प्राण ने हिंदी सिनेमा में खलनायकी की दुनिया में एकतरफ़ा राज किया. तीन दशक तक वे बड़े पर्दे पर छाए रहे.
प्राण साहब ने बड़े पर्दे पर एक से बढ़कर एक किरदार अदा किए. उन्होंने हिंदी सिनेमा को कई शानदार फ़िल्में दी है. उनकी बेहतरीन फिल्मों में जिस देश में गंगा बहती है, उपकार, शहीद, पूरब और पश्चिम, राम और श्याम, जंजीर, डॉन और अमर अकबर एंथनी जैसी कई फिल्मों का नाम है.
अमिताभ बच्चन को बनाया सुपरस्टार !
बता दें कि ‘सदी के महानायक’ अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बनाने में प्राण साहब का बड़ा हाथ है. बिग बी को साल 1973 में आई फिल्म ‘जंजीर’ से रातोंरात बड़ी सफ़लता और लोकप्रियता मिली थी. इस फिल्म के लिए प्राण साहब ने ही मेकर्स को अमिताभ बच्चन का नाम सुझाया था. इससे पहले इस फिल्म के लिए धर्मेंद्र, देव आनंद और राजकुमार को अप्रोच किया गया था.
जब प्राण की दोस्त की बहन ने कहा- गुंडे-बदमाशों को घर मत लाया करो…
प्राण बड़े पर्दे पर अपने खूंखार किरदार से लोगों के दिलों में दहशत पैदा कर दिया करते थे. उन्हें पर्दे पर देखकर हर कोई ख़ौफ़ में आ जाता था. एक बार प्राण साहब दिल्ली में अपने एक दोस्त के घर पर चाय पीने के लिए गए थे. प्राण को उनके दोस्त ने तब उनकी छोटी बहन से भी मिलवाया था.
प्राण जब अपने दोस्त के घर से लौट गए थे तब उन्हें उनके दोस्त ने फोन किया था और उनसे कहा था कि उसकी बहन कह रही थी कि ऐसे बदमाश और गुंडे आदमी को घर लेकर क्यों आते हो
प्राण के निजी जीवन की बात करें तो साल 1945 में उन्होंने शुक्ला अहलूवालिया से शादी की थी. दोनों तीन बच्चों के माता-पिता बने थे. उनके दो बेटे हैं जिनका नाम अरविंद और सुनील सिकंद हाँ. जबकि बेटी का नाम पिंकी है.
प्राण साहब को हिंदी सिनेमा के सबसे ऊंचे सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड’ और भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया है. 12 जुलाई 2013 को 93 साल की उम्र में प्राण साहब का निधन हो गया था.