जानिए भारत में कैसे शुरू हुई थी वेश्यावृत्ति, इतिहास की ये कहानी पढ़ दहल जाएगा दिल!
नई दिल्ली – वेश्यावृत्ति, एक ऐसा शब्द जिसके बारे में बात करने से सभ्य समाज आज भी कतराता है। हालांकि, शाम होते ही ज्यादतर इसी सभ्य समाज के लोग वेश्याओं के यहां मौजूद होते हैं। ये सवाल अक्सर हम सभी के दिमाग में घुमता होगा कि वेश्यावृत्ति की शुरुआत कब, कहां और कैसे हुई थी। ये देश का वो इतिहास है जिसकी बात आज कोई नहीं करना चाहता, क्योंकि यह देश का एक काला इतिहास है। History of nagarvadhu in india.
भारत में ऐसे शुरु हुई थी वेश्यावृत्ति :
वेश्यावृत्ति के धंधे या रेड लाइट में रह रही लड़कियों का इतिहास देखें तो इनमें से ज्यादातर को गांवों या शहर के दूर-दराज के इलाकों से लाकर इस काले अंधेरे में धकेल दिया गया होता है। बात करें भारत में वेश्यावृत्ति की शुरूआत की तो इसका एक काला इतिहास रहा है। प्राचीन भारत में किसी की शादी होती थी तो उस नई-नवेली दुल्हन को नगरवधु कहा जाता था। जिस पर किसी एक अधिकार न होकर सभी प्रभावशाली व्यक्तियों का अधिकार होता था। हालांकि, शुरूआत में ये नगरवधुएं केवल नाचने, गाने और मनोरंजन का काम करती थी लेकिन धीरे-धीरे इन्हें वेश्यावृति में धकेल दिया गया। साहित्यिक किताब ‘मृछकतिका’ में नगरवधु का पूरा विवरण लिखा गया है। जिसमें आम्रपाली नाम की नगरवधु का जिक्र है जो बहुत आज भी काफी मशहूर है।
तवायफों और विदेशों से लाई औरतों को बनाया गया वेश्यावृत्ति का हिस्सा :
मुगल काल में तवायफों का काम केवल दरबार में नाच औऱ गा कर शाही परिवार का मनोरंजन करना होता था, लेकिन, लेकिन धीरे-धीरे इनको कोठों को वेश्यावृत्ति का ठिकाना बना दिया गया। इसके अलावा, 16-17वीं शताब्दी में जब गोवा पर पुर्तगालियों ने कब्जा किया हुआ था। उस दौर में ये लोग जापान द्वारा सेक्स गुलाम बनाई गई लड़कियों को खरीदकर लाया करते थे। धीरे-धीरे ये प्रवृति ब्रिटिश शासकों तक पहुंच गई और वो भी भारत से गरीब लड़कियों के परिवारों को पैसे देकर या जबरन उठाकर वेश्यावृत्ति के धंधे में झोंकने लगे। ब्रिटिश काल में ही कई आर्मी कैंपों के पास वेश्यावृत्ति के कोठे खोले गए थे।
19वीं सदी से शुरू हुए रेड लाइट एरिया का चलन :
आज हालात ये हैं कि देश के हर बड़े छोट शहर में कहीं खुलेआम तो कहीं चोरी छिपे ये धंधा फलफुल रहा है। आज हम अकसर देशभर में फैले इन रेड लाइट एरिया के बारे में सुनते रहते हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई इलाकों में ‘देवदासी बेल्ट’ की लड़कियां वेश्यावृत्ति से ही जुड़ी हुई हैं। इसके अलावा, कोलकत्ता का सोनागाछी, मुंबई का कमाटीपुरा, दिल्ली का जीबी रोड़, आगरा की कश्मीरी मार्केट, ग्वालियर का रेशमपुरा आदि इलाके रेड लाइट एरिया भारत जैसे देश के लिए एक काला दाग जैसे हैं। लेकिन, यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि इतनी सदियां गुजर जाने के बाद भी पुलिस, प्रशासन और सरकार इस वेश्यावृत्ति के धंधे पर लगाम लगाने में नाकाम रही है। हद तो तब हो जाती है जब कुछ नेता या बुद्धिजीवी वेश्यावृत्ति को नियमित करने या कानूनी वैधता दिलाने के लिए बहस करते दिखाई देते हैं।