अध्यात्म

भागवतपुराण के मुताबिक इस कारण से हर महीने औरतों को भोगनी पड़ती है मासिक धर्म की पीड़ा

भागवतपुराण में वर्णित एक कहानी के मुताबिक स्त्रियों को होने वाला मासिक धर्म की असल वजह एक श्राप है। भागवतपुराण की वर्णित इस कहानी के अनुसार, स्त्रियों को ये श्राप इन्द्र देव ने दिया था। दरअसल इसके पीछे जो पौराणिक कहानी है, वो हम आज आपको बताने जा रहे हैं। Menstruation mention in bhagwatpuran.

ये है मासिक धर्म से जुड़ी पौराणिक मान्यता :

कहानी कुछ इस तरह से हैं। एक बार देवताओं के गुरु ‘बृहस्पति’ इन्द्र देव से काफी क्रोधित हो गए। उसी वक्त असुरों ने देवलोक पर हमला कर दिया और इन्द्र को वहां से भागना पड़ा। इन्द्र असुरों से रक्षा के लिए भगवान ब्रह्मा से सहायता मांगी। ब्रह्मा ने उन्हें बचने का मार्ग बताते हुए, एक ब्रह्म-ज्ञानी की सेवा करने की सलाह दी। ब्रह्मा की आज्ञा के अनुसार इन्द्र देव एक ब्रह्म-ज्ञानी की सेवा में लग गए। लेकिन वे इस बात का ज्ञान नहीं था कि उस ब्रह्म-ज्ञानी की माता एक असुर थी।

इसलिए ब्रह्म-ज्ञानी के मन में असुरों के लिए एक विशेष लगाव था। इन्द्र देव द्वारा अर्पित की गई सारी हवन की सामग्री ज्ञानी असुरों को चढ़ाता रहा।  जल्द ही इन्द्र देव को इस बात का इल्म हो गया कि उनकी सारी सेवा व्यर्थ जा रही है। जिसके बाद वो बेहद क्रोधित होकर ब्रह्म-ज्ञानी की हत्या कर दी। गुरु की हत्या करने के कारण इन्द्र पर ब्रह्म-हत्या का पाप आ लगा। इस पाप से मुक्ति के लिए इन्द्र ने खुद को एक फूल के अंदर कई सालों तक छुपाया रखा और एक लाख सालों तक भगवान विष्णु की तपस्या करते रहे।

इन्द्र देव के श्राप के कारण स्त्रियों को होता है मासिक धर्म :

तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इन्द्र देव को पाप से मुक्ति के लिए पेड़, जल, भूमि और स्त्री को अपने पाप का थोड़ा-थोड़ा अंश देने का सुझाव दिया। सबसे पहले पेड़ को उस पाप का एक-चौथाई हिस्सा दे दिया गया। जिसके बदले में इन्द्र ने वरदान दिया कि पेड़ चाहे तो स्वयं ही अपने आप को जीवित कर सकता है। इसके बाद जल को पाप का तीसरा हिस्सा दे दिया गया, जिसके बदले इन्द्र देव ने उसे अन्य वस्तुओं को पवित्र करने की शक्ति दी।

पाप का तीसरा हिस्सा भूमि को दिया गया जिसके बदले में वरदान स्वरूप उन्होंने भूमि से कहा कि उसपर आई कोई भी चोट भर जाएगी। आखिरी में जब स्त्री की बारी आई तो, स्त्री को पाप का आखिरी हिस्सा देने के फलस्वरूप उन्होंने हर महीने मासिक धर्म का वरदान दिया। साथ ही उन्होंने कहा की “महिलाएं, काम का आनंद पुरुषों से कई गुना ज्यादा उठाएंगी”।

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