मगरमच्छ के गले में 6 साल से फंसा था टायर, हो सकती थी मौत, शख्स ने दिखाई बहादुरी, ऐसे किया आजाद
इंसानियत इस दुनिया में खत्म होते जा रही है। लोग अपनी जान खतरे में डालकर किसी दूसरे की मदद करने से हमेशा बचते हैं। लेकिन अभी भी कुछ अच्छे लोग जीवित हैं। अब इस बहादुर बंदे को ही ले लीजिए जिसने अपनी जान हथेली पर रख एक मगरमच्छ को नया जीवन दिया।
6 साल से फंसा था मगरमच्छ के गले में टायर
दरअसल इंडोनेशिया में एक मगरमच्छ पिछले 6 साल से गले में फंसे मोटरसाइकिल के टायर से परेशान था। यदि कुछ समय और ये टायर उसके गले में रहता और उसका साइज़ बढ़ता तो उसकी दम घुटने से मौत भी हो सकती थी। लेकिन फिर सेंट्रल सुलावेसी प्रांत में रहने वाले तिली नाम का शख्स फरिश्ता बनकर आया।
जान हथेली पर रख शख्स ने की मगरमच्छ की मदद
तिली न अपनी जान की परवाह किए बिना अकेले ही मगरमच्छ को पकड़ा और उसके गले से टायर निकाल उसे आजाद कर दिया। अब इस शख्स की हिम्मत और बहादुरी के चर्चे पूरी दुनिया में हो रहे हैं। मगरमच्छ 13 फीट (4 मीटर) लंबा था। उसके गले में साल 2016 से ही टायर फंसा हुआ था। उसे पहली बार सेंट्रल सुलावेसी प्रांत में पालू नदी में देखा गया था।
मगरमच्छ को पकड़ने में 3 हफ्ते लगे
35 वर्षीय तिली बताते हैं कि उन्हें मगरमच्छ को पकड़ने में 3 हफ्ते का समय लगा। पहले उन्होंने गांव के दूसरे लोगों से मदद मांगी, लेकिन डर के मारे कोई आगे नहीं आया। फिर उन्होंने खुद ही जाल बिछाकर मगरमच्छ को पकड़ा। चारे के लिए उन्होंने चिकन और बत्तख रखी थी। मगरमच्छ दो बार तो जाल से भाग गया था, लेकिन तीसरी बार वह पकड़ गया।
लोग कर रहे शख्स की तारीफ
मगरमच्छ के पकड़े जाने के बाद तिली ने एक छोटी सी आरी की सहायता से उसके गले के टायर को काट दीया। फिर उसने वापस मगरमच्छ को नदी में छोड़ आजाद कर दिया। इस पूरी घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर बड़ा वायरल हो रहा है। हर कोई शख्स की बहादुरी और नेकदिली की तारीफ कर रहा है।
पहले भी कर चुके हैं बेजुबानों की मदद
तिली हमेशा से ही बेजुबानों की मदद को आगे रहे हैं। वे इसके पहले भी मगरमच्छ, सांप और अन्य सरीसृपों (Reptiles) की मदद कर चुके हैं। इस घटना के बाद वे और भी फेमस हो गए हैं। बताते चलें कि जनवरी 2020 में सेंट्रल सुलावेसी के संरक्षण अधिकारियों ने ऐलान किया था कि जो भी शख्स इस मगरमच्छ को टायर से आजाद करेगा उसे इनाम दिया जाएगा।
अब देखना ये है कि तीली इस इनाम को स्वीकार करते हैं या नहीं। क्योंकि उन्होंने मगरमच्छ की मदद इनाम के लालच में नहीं की थी। बल्कि उन्हें बेजूबान जानवरों की हेल्प करना अच्छा लगता है। ये कर उनके दिल को खुशी मिलती है।