लता जी को देखकर रोते हुए लौटे राहुल वैद्य, इस वजह से नहीं देखना चाहते थे अंतिम संस्कार, खोला राज
हिंदी सिनेमा और हिन्दुस्तान की दिग्गज़ गायिका लता मंगेशकर जी के निधन से पूरा देश गमगीन हो गया था. वहीं विदेशों में भी लता की के जाने पर लोगों ने शोक जताया था. लता जी एक महान गायिका थीं. उनकी तरह गायकी में हिंदी सिनेमा में अन्य किसी गायक ने शोहरत और सफ़लता हासिल नहीं की.
92 साल की उम्र में लता दीदी ने 6 फरवरी की सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर अंतिम सांस ली. लता दीदी ने हिंदी सिनेमा को बहुत कुछ दिया था. मधुबाला-मीणा कुमारी से लेकर माधुरी-ऐश्वर्या रे तक न जाने कितनी ही अदाकाराओं के लिए उन्होंने गाने गए थे. लता जी को धरती की मां सरस्वती भी कहा जाता था.
लता दीदी के निधन की ख़बर सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया था. न केवल सिनेमा जगत बल्कि हर क्षेत्र से जुड़ी बड़ी से बड़ी हस्ती ने लता जी को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. लता दी चाहे सिनेमा और संगीत की दुनिया से जुड़ी हुई थी लेकिन क्रिकेट राजनीति के अलावा भी उन्हें हर क्षेत्र के लोग पसंद करते थे.
बता दें कि लता जी का 6 फरवरी की शाम को मुंबई के शिवाजी पार्क में अंतिम संस्कार किया गया था. लता दीदी को उनके छोटे भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर ने मुखाग्नि दी. शिवाजी पार्क में लता मंगेशकर को आख़िरी बार देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ी थी. वहीं कई जानी-मानी हस्तियां शिवाजी पार्क में लता जी के अंतिम संस्कार में शामिल हुई.
लता जी के अंतिम दर्शन गायक और बिग बॉस के प्रतियोगी रहे राहुल वैद्य ने भी किए. राहुल ने बताया है कि इस दौरान वे बेहद भावुक हो गए थे. उनकी आंखों से आंसू गिर रहे थे. शिवाजी पार्क में राहुल ने दीदी के चरणों में अपना शीश झुकाया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. लेकिन इसके बाद राहुल वहां से चले गए थे वे लता दीदी के अंतिम संस्कार तक नहीं रुके और अब राहुल ने इसके पीछे की वजह बताई है.
राहुल ने कहा है कि मैं लता जी की चिता को जलते हुए नहीं देख सकता था. अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि जब मैंने देखा कि लता जी के पार्थिव शरीर से तिरंगा उतारा जा रहा था हे भगवान, मैं अपने इमोशंस को बयां नहीं कर सकता. मुझे दिल में काफी भारी महसूस हो रहा था. मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे.
अपने रुंधे हुए गले से राहुल आगे कहते है कि चंदन की लकड़ी के टुकड़ों में उनके पार्थिव शरीर को रखते हुए देखना मुश्किल पल था. ये असमान्य फीलिंग थी. मेरा गला भर आया था. सच कहूं तो चिता को आग देने से पहले मैं वहां से चला आया था. क्योंकि मैं ऐसी चीजें नहीं देख सकता था. तो मैं झुका, उन्हें श्रद्धांजलि दी और उन्हें आग लगाने से पहले चला गया.
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बता दें कि राहुल साल 2013 में लता जी का साक्षात्कार भी लें चुके हैं. उन्होंने एक वीडियो इंस्टाग्राम पर साझा करते हुए लिखा कि, ”ओम शांति. लता जी आज आप हमें छोड़कर चली गई लेकिन जब तक दुनिया है तब तक आपकी आवाज बनी रहेगी. मेरा मानना है कि भगवान चाहते थे कि आप उनके लिए गाएं इसलिए वे आपको ले गए. मां सरस्वती के बाद यहां खुशी से रहें”.