राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जाते-जाते पीएम मोदी के बारे में कह गए ये बड़ी बात..
नई दिल्ली: देश के वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल ख़त्म हो चुका है। कल से देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने खुद को संसद की देन करार देते हुए कहा कि उन्हें अपने जीवन में कई नेताओं से बहुत कुछ सीखने को मिला है। रविवार को संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में प्रणव मुखर्जी का विदाई समारोह रखा गया था।
उदासी से कहूँगा इस आलीशान भवन को अलविदा:
मुखर्जी ने कहा कि जब मैंने इस लोकतंत्र के मंदिर में पहली बार कदम रखा था, उस समय मेरी उम्र 34 साल थी। मैं 37 साल तक किसी ना किसी सदन का हिस्सा बनकर रहा। अगर मैं यह दावा करूँ कि मैं जो भी हूँ इस संसद की देन हूँ तो मैं कोई अभद्रता नहीं करूँगा। उन्होंने अपनी विदाई समारोह पर कहा कि अब उदासी के साथ इस आलीशान भवन को अलविदा कहूँगा।
अध्यादेश अपनाना चाहिए केवल मुश्किल परिस्थितियों में:
प्रणव मुखर्जी ने कहा कि अध्यादेश के रूप में कार्यपालिका को कानून बनाने का असाधारण अधिकार दिया गया है, लेकिन अध्यादेश केवल मुश्किल परिस्थितियों में ही अपनाना चाहिए। उन्होंने अपने विदाई समारोह में सबको संबोधित करते हुए कहा कि, “मौद्रिक मामलों में भूलकर भी अध्यादेश का सहारा नहीं लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अध्यादेश को उस समय भी नहीं अपनाया जाना चाहिए जब सदन में या इसकी किसी समिति के समक्ष विचार-विमर्श किया जा रहा हो।“
जीएसटी विधेयक पास होना एक ऐतिहासिक कदम:
सदन में पेश किये जाने पर भी अध्यादेश का सहारा नहीं लेना चाहिए। “अगर कोई मामला बहुत जरुरी लग रहा हो तो उससे सम्बंधित समिति को उस स्थिति के बारे में जानकारी देनी चाहिए। इसके बाद उसे एक निर्धारित तिथि के अन्दर रिपोर्ट पेश करने के बारे में कहना चाहिए। मुखर्जी ने जीएसटी विधेयक के बारे में कहा कि इसका पास होना एक ऐतिहासिक कदम था। इससे देश के लोकतंत्र की परिपक्वता का पता चलता है।“
मेरी रचना हुई लोकतंत्र के इस मंदिर में:
प्रणव मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी के सहयोगात्मक व्यवहार और गर्मजोशी भरे अंदाज को भी याद किया। उन्होंने अपने विदाई भाषण के दौरान जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गाँधी, लाल कृष्ण अडवाणी से लेकर सोनिया गाँधी जैसे सभी वरिष्ठ नेताओं का जिक्र किया। संसद में होने वाली बर्बादी पर भी उन्होंने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पहले वहाँ गंभीर चर्चा होती थी। लोकतंत्र के इस मंदिर में मेरी रचना हुई है। उन्होंने शानदार विदाई समारोह के लिए सभी का शुक्रिया भी किया।