गजल सम्राट जगजीत सिंह को पहले से हो गया था मौत का आभास, मरने से पहले दोस्त से कहे थे ये शब्द
‘चलो गजल सुनते हैं’ जब भी ये बात निकलती है तो दिमाग में सबसे पहला नाम गजल सम्राट जगजीत सिंह (Jagjit Singh) का आता है। उनकी गजलों में जो दर्द होता था वह सीधा दिल को छूता था। उनमें संवेदनाओं को सुरों में पिरोने की गजब की कला थी। ‘बिखरी जुल्फों ने सिखाई मौसमों को शायरी…’, ‘चिट्ठी न कोई संदेश…’ जैसी गजले आज भी सुनों तो दिल उसमें कहीं खो सा जाता है।
बेटे की मौत से टूट गए थे जगजीत सिंह
अपनी गजलों से दुनिया का खालीपन मिटाने वाले जगजीत सिंह का जीवन खालीपन से भरा रहा। जगजीत सिंह और उनकी पत्नी चित्रा के जीवन में 27 जनवरी 1990 को एक बड़ा भूचाल आया था। उनके जवान 18 साल के बेटे विवेक का रोड ऐक्सीडेंट में निधन हो गया था। इकलौते बेटे की मौत ने चित्रा से उनकी ‘आवाज’ छीन ली, वहीं जगजीत जी गहरे सदमे में चले गए।
दर्द छिपाने के लिए गाते थे खूब गजलें
बेटे को खोने के बाद जगजीत सिंह खुद भी कहीं खोए-खोए से रहने लगे। अपने दर्द को भूलने के लिए उन्होंने खुद को संगीत की दुनिया में डुबो लिया। वह जब भी गाते थे, तो उनकी आवाज में दर्द साफ छलकता था।
बेटे को खोने के बाद जगजीत सिंह की लाइफ में एक और तूफान आया। उन्होंने अपनी सौतेली बेटी मोनिका दत्ता को भी खो दिया। मोनिका जगजीत की वाइफ चित्रा के पहले पति की बेटी थी, हालांकि जगजीत उसे अपनी बेटी जैसा प्यार देते थे।
सौतेली बेटी की मौत ने दिया गहरा सदमा
जगजीत सिंह अमेरिका के टूर पर थे। तब उन्हें खबर मिली की ऐक्स मॉडल मोनिका दत्ता ने सुसाइड कर लिया है। बेटी की मौत ने उन्हें एक और झटका दिया। खबर मिलते ही उन्होंने अपने सभी शोज कैंसिल किए और भारत के लिए रवाना हुए। इस दौरान वे दो दिन लगातार फ्लाइट में रहे। अंदर से पूरी तरह टूट चुके जगजीत ने फिर भी कभी अपना दर्द बयां नहीं किया।
मौत से पहले हो गया था आभास
जगजीत सिंह अपने खालीपन के चलते वह अपनी रूह की गहराई में इस कदर जा चुके थे कि उन्हें अपनी मौत का अंदेशा पहले ही हो गया था। 21 साल खामोशी की चादर ओढ़ने वाले जगजीत सिंह मौत से कुछ दिनों पहले अपनी चुप्पी तोड़े थे। उन्होंने अपने दोस्त से कुछ ऐसे शब्द कहे, जिससे ये पता चलता है कि उन्हें अपनी मौत का आभास पहले ही हो गया था। वे जान चुके थे कि अब वे दुनिया को अलविदा कहने वाले हैं।
ये थे आखिरी शब्द
10 अक्टूबर 2011 को जगजीत सिंह ने दुनिया को अलविदा कहा था। इसके चंद दिनों पहले दोस्त और म्यूजिशियन अमर हल्दीपुर उन्हें Madh Island घुमाने ले गए थे। यहां से लौटते समय वे बड़े शांत थे। जब अमर ने उनसे पूछा क्या हुआ तो वह बोले “क्या यार, जाते-जाते ये सब क्या दिखा रहे हो…।” उनके कहने का तात्पर्य साफ था। उन्हें पता चल गया था कि मेरे जाने का समय आ गया है, और तुम मुझे ये सब दिखा रहे हो।