आशा भोंसले की इस जिद्द की वजह से छूट गया था लता मंगेशकर का स्कूल, टीचर की खानी पड़ी थी डांट
हर कामयाब इंसान के पीछे अनेकोनेक किस्से-कहानियां होती हैं। इन्हीं में से एक स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर भी है। गौरतलब हो कि भले ही अब लताजी हमारे बीच नहीं हो, लेकिन उनकी अनेकों स्मृतियां हैं। जो लोगों के दिलोदिमाग में उमड़ रही हैं। इसी में से एक कहानी आशा ताई और लता मंगेशकर से जुड़ी हुई है।
मालूम हो कि लता मंगेशकर अपने पांच भाई-बहनों के परिवार में सबसे बड़ी थी। ऐसे में एक बार उनकी छोटी बहन आशा ताई ने जिद्द ठान ली की अपनी दीदी यानी की लता मंगेशकर के साथ ही स्कूल जाएंगी। फिर क्या था वो अपनी दीदी के साथ स्कूल गईं भी और लता, आशा को लेकर अपनी ही क्लास में पहुँच गईं।
ऐसे में उनकी टीचर ने उन्हें बहुत डांटा और अगर आप ये सोच रहें है कि अपनी छोटी बहन को स्कूल ले जाने के कारण लता जी को डांट पड़ी तो बता दें कि बात कुछ और थी। जी हां लताजी की टीचर ने उन्हें इसलिए डांट लगाई कि क्या एक ही फीस में दोनों पढेंगी?
वहीं इसके बाद दोनों बहनें घर पर आ गईं और उन्होंने ये किस्सा अपने पिताजी को बताया। जिसके बाद उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ने कहा कि स्कूल छोड़ दो, अब घर पर ही आपकी पढ़ाई होगी। ऐसे में आशा भोंसले के चक्कर में लता मंगेशकर का भी स्कूल छूट गया। फिर घर पर ही दोनों पढ़ाई करने लगें।
मालूम हो कि लता मंगेशकर और आशा भोंसले के पिता थिएटर में एक्टर थे, और नाटक कंपनी चलाया करते थे। इतना ही नहीं उनके पिता को फिल्मों में गाने पर सख्त ऐतराज था।
ऐसे में वो कदापि नहीं चाहते थे कि उनकी बेटियां फिल्मों में गाएं, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है और आखिरकार उनके सभी बच्चे कहीं न कहीं संगीत की दुनिया से जुड़े और अपना एक मुकाम बनाया। जिसमें सबसे ज्यादा सफल लता जी रही और उन्होंने दशकों संगीत की दुनिया पर राज किया।
बता दें कि लताजी के पिता बहुत कम उम्र में ही चल बसे थे और लता मंगेशकर पर घर की जिम्मेदारी आ गई थी। ऐसे में आशा भोंसले ने भी सोचा कि कुछ किया जाए और आशा जी ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि, “मैं टिपिकल इंडियन वूमेन हूं। मैं घर का खाना बनाना, घर की सफाई करना, इन सब चीजों में मुझे ज्यादा मजा आता है।
मैं चाहती ही नहीं थी कि मैं बाहर जाकर कुछ काम करुं।” लेकिन किस्मत ने आशा भोंसले के लिए भी कुछ और ही तय कर रखा था। फिर क्या उन्हें भी एक गुरु मिलें जिनका नाम ‘शंकर व्यास’ था और फिर धीरे धीरे आशा भोंसले भी अपनी बड़ी बहन की राह पर निकल पड़ी।
वहीं मालूम हो कि एक जमाने में यह भी कहा गया कि लता मंगेशकर जैसा कोई नहीं बन सकता, लेकिन आज आशा भोंसले ने भी एक ऐसा अपना मुकाम बनाया है। जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। ऐसे में देखें तो सबका अपना एक अलग- अलग व्यक्तित्व होता है और ऐसा ही कुछ आशा भोंसले को लेकर भी रहा।