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बचपन से लेकर अंत तक हमेशा लता मंगेशकर ने सफ़ेद साड़ी ही क्यों पहनी? स्वर कोकिला ने खुद बताई थी वजह

लता मंगेशकर जी इस दुनिया से रविवार सुबह विदा हो गई और रविवार शाम को मुंबई के शिवाजी पार्क में पंच तत्व में विलीन हो गई और अपने पीछे छोड़ गई अपनी मखमली, सुरीली आवाज में हजारों-हजार गाने. अनिगिनत यादें, अनगिनत किस्से, कहानियां. लता जी चली गई हालांकि वे हमेशा भारतीय के दिलों में जीवित रहेंगी.

lata mangeshkar

लता जी एक बहुत बड़ी शख्सियत थीं. उनका ‘भारत रत्न’ होना उनके बारे में सब कुछ बयां कर देता है. भारत के सबसे ऊंचे नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ के साथ ही वे फ़्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘Officier de la Legion d’Honneur’ से भी सम्मानित हुई थीं. यह सम्मान उन्हें मुंबई में साल 2009 में दिया गया था.

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लता मंगेशकर जी हमेशा अपने गानों से अपने करोड़ों चाहने वालों को याद आती रहेंगी. लता ने 36 भाषाओं में 30 हजार से भी अधिक गानों को अपनी आवाज दी थीं. उन्होंने हिंदी, मराठी, भोजपुरी सहित कई भाषाओं में गाने गए. उनका गायकी का करियर 80 सालों का रहा.

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लता ने महज 13 साल की उम्र में गाना शुरू कर दिया था. अपने गानों के साथ ही लता जी अपनी शख़्सियत को लेकर भी हर किसी को प्रभावित करने में सफ़ल रही. लता जी एक बड़ी गायिका थीं लेकिन कभी उन्होंने इस बात को जाहिर नहीं होने दिया. वे एक आम महिला की तरह ही रही.

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लता जी करोड़ों-अरबों रुपये की मालकिन थीं इसके बावजूद वे सादा जीवन जीती थीं. उनका पहनावा, खान-पान, रहन-सहन सब कुछ सादा था. लता जी हमेशा ही सफ़ेद रंग की साड़ी पहनती थीं. बचपन से लेकर अंत तक लता जी सफ़ेद रंग की साड़ी में ही नजर आईं.

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लता जी ने कभी शादी नहीं की. वे ताउम्र कुंवारी रही. लेकिन वे साड़ी शुरू से ही पहनती थीं और हमेशा साड़ी ही पहनी. लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि आखिर लता जी सफ़ेद रंग की साड़ी ही क्यों पहनती थीं ? एक बार लता जी ने खुद इस राज से पर्दा उठाया था. दरअसल उनसे एक साक्षात्कार में सवाल किया गया था कि, ‘आप सफेद साड़ी क्यों पहनती हैं?’

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लता जी ने जवाब में कहा कि, ”मुझे ये सफेद बचपन से पसंद है. मैं जब छोटी थी तब भी में घाघरा चोली पहनती थी वो भी सफेद ही पहना करती थी. पर बीच में एक ऐसा समय आया था कि कलर साड़िया पहनना शुरू की थी मैंने और हर रंग की साड़ी में पहनती थी.

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आगे स्वर कोकिला ने कहा था कि, ”पर एक-दो साल के बाद ऐसे बैठे-बैठे मुझे ख्याल आया की इस बात का तो कोई अंत हीं नहीं है कि आज मुझे गुलाबी पसंद आई तो कल पीली तो परसो नीली. और इसका कोई अंत ही नही है, इसलिए मैंने एक ही दिन में फैसला किया कि आज से में सफेद के सिवा कुछ नहीं पहनूंगी”.

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संगीत निर्देशक ने कहा था- तुम सफेद चादर औड़ कर चले आती हो

एक बार लता जी को सफ़ेद रंग की साड़ी पहनने पर गुजरे दौर के मशहूर संगीत निर्देशक रहे गुलाम मुस्तफा दुर्रानी ने सफ़ेद साड़ी पहनने पर ताना मारते हुए कहा था कि, ”लता तुम रंगीन कपड़े क्यों नहीं पहनतीं? ये क्या तुम सफेद चादर ओढ़ कर चले आती हो?” इस बात से आहत होकर लता दीदी ने कभी इस संगीतकार के साथ फिर काम नहीं किया.

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