लता मंगेशकर भाई- बहनों में थी सबसे बड़ी, 13 साल में शुरू किया था करियर, देखें परिवार की तस्वीरें
लोगों की आँखें नम करके सुर कोकिला लता मंगेशकर ने आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया। जी हाँ लता मंगेशकर काफी दिनों से बीमार चल रही थी और उनके लिए पूरे देश में जहाँ दुआओं का दौर चल रहा था। वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर्स उन्हें दवाएं दे रहें थे, लेकिन इस बार दुआ और दवा दोनों काम नहीं आई और अब स्वर्गलोक की सेवा में लता जी पहुंच गईं हैं।
बता दें कि बीती रात उनका निधन हुआ और इसकी जानकारी सबसे पहले उनकी बहन उषा ने मीडिया से साझा की। वहीं लता मंगेशकर के निधन की खबर सुनते ही हर किसी का दिल बैठ गया और आंखें आंसुओं से भीग गई। इतना ही नहीं हर तरफ से अब उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किया जा रहा है। मालूम हो कि स्वर कोकिला के निधन के बाद प्रधानमंत्री भी आहत दिखें और उन्होंने लता जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
देश भर में उनके जाने का गम साफ देखा जा सकता है और सभी लोग अपने-अपने तरीके से सुर सम्राज्ञी को को याद कर रहें हैं। वहीं जब हम लता जी के संगीत साधना पर दृष्टि डालते हैं तो फिर एक भाव-विभोर कर देने वाला व्यक्तित्व निखरकर सामने आता है। मालूम हो कि सुर कोकिला की आवाज में वो जादू था जिसकी वजह से उनके गाए गीत कानों में मिश्री घोलने का काम करते थे और करते रहेंगे। आइए ऐसे में आज हम आपको लता जी के परिवार से जुडी कहानी बताते हैं…
साल 1942 में अपने करियर की शुरुआत करने वाली लता जी ने लगभग 8 दशक तक संगीत साधना की और उनके द्वारा गाए जाने वाले गीत सदैव चर्चा का विषय बनें फिर चाहें वो उनका पहला गीत रहा हो या फिर आखिरी। बता दें कि फिल्म ‘महल’ के गाने ‘आने वाला आएगा’ से लता जी को पहली बार पहचान मिली थी और उसके बाद उन्होंने लगभग 30,000 से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दी।
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था और जब वो 13 साल की थी। तभी से गाने की शुरू कर दी थी और लता जी के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के जाने-माने व्यक्ति थे। ऐसे में घर पर ही रहकर लता जी को अपने पिता से ही संगीत सीखने का अवसर मिला और विरासत में मिली इस प्रतिभा का उन्होंने बखूबी उपयोग किया और देश-विदेश में आगे चलकर ख्याति बटोरने का काम किया।
वहीं मालूम हो कि लता जी की मां का नाम श्रीमती माई था और जन्म के समय लता जी का नाम हेमा रखा गया था, लेकिन कुछ समय बाद उनके पिता ने इनका नाम लता रख दिया और लता मंगेशकर अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी बहन थीं। वहीं उनके बाद उनकी तीन बहनें मीना मंगेशकर, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं। हाँ इन भाई-बहनों के बीच की एक दिलचस्प बात यह है कि सभी ने आजीविका के रूप में संगीत को ही चुना।
इसके बाद समय आता है साल 1942 का। जब लता जी के पिता का निधन हो जाता है और परिवार की सारी जिम्मेदारी बड़ी बेटी होने के नाते लता पर आ जाती है ऐसे में 13 साल की छोटी सी उम्र में ही पैसों की तंगी दूर करने के लिए लता मंगेशकर ने कुछ हिंदी और मराठी फिल्मों में काम करना शुरू किया था। इतना ही नहीं परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के बीच में वो अपने जीवन के बारें में सोचना भूल गई और फिर आजीवन अविवाहित ही रही।
वहीं बता दें कि लता की बहन आशा ने जहाँ आर डी बर्मन से शादी रचाई वहीं लता की तीसरी बहन मीना मंगेशकर ने भी हिंदी और मराठी फिल्मों में पार्श्वगायन किया और मीना ने शादी के बाद बच्चों के लिए कई गाने भी रिकॉर्ड किए। वहीं, उषा मंगेशकर ने भी बड़ी बहन लता की तरह शादी नहीं की और उन्होंने हिंदी, नेपाली, भोजपुरी और गुजराती भाषा में कई गानों को अपनी आवाज दी है।
इसके अलावा उषा मंगेशकर से जुडी एक विशेष बात है कि वो पेंटिंग में भी खास रुचि रखती हैं। इन सबसे इतर लता मंगेशकर का एक छोटा भाई है जिसका नाम हृदयनाथ मंगेशकर है और उसने शास्त्रीय संगीत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है और ह्रदय नाथ को लोग प्यार से ‘बाला साहेब’ बुलाते हैं।
इसके अलावा आखिर में बताते चलें कि अपने लंबे करियर के दौरान लता मंगेशकर ने कई गानों को अपनी सुरीली आवाज दी और शायद काफी कम लोग ही यह जानते हैं कि लताजी गायिका होने के साथ-साथ एक संगीतकार भी थीं और उनका अपना एक फिल्म प्रोडक्शन हाउस भी था, जिसके बैनर तले फिल्म ‘लेकिन’ बनी थी।