‘हेमा’ से कैसे लता दीनानाथ मंगेशकर बनी स्वर कोकिला, बड़ी दिलचस्प है ये कहानी
भारत रत्न और स्वर कोकिला के नाम से प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में बीती रात निधन हो गया और उनके निधन के बाद से ही पूरा देश शोक में डूब गया है। जी हाँ लता मंगेशकर जी का व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा था कि उनके जाने से न सिर्फ देश के लोग बल्कि संगीत के प्रेमी पूरी दुनिया के आज उदास है।
वहीं मालूम हो कि सुरों की कोकिला लता मंगेशकर म्यूजिक की दुनिया का एक पूजनीय नाम से कम नहीं और उन्होंने दशकों अपने जीवन का इसी के नाम किया और जिसकी प्रणीति आज हम सबके सामने है और उनके निधन पर देश में दो दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। इसके अलावा सम्मान के रूप में दो दिनों तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। राष्ट्रीय ध्वज के झुकने का अर्थ तो आप सभी समझते ही हैं। ऐसे में आप लता जी के योगदान और व्यक्तित्व को समझ सकते हैं।
वहीं बता दें कि लता मंगेशकर ने जब भी कोई गाना गाया। उन्होंने अपनी आवाज से सभी को मंत्रमुग्ध बनाया और उन्होंने अपने इसी कला के माध्यम से म्यूजिक इंडस्ट्री पर वर्षों राज किया। आज चूँकि अब वो इस दुनिया में नहीं रही और अब उनकी यादें ही हम सबके बीच में हैं तो क्या आप सभी को उनका असली नाम पता है? नहीं जानते तो आइए हम आपको आज उनके असली नाम से रूबरू कराते हैं और जानते हैं कुछ विशेष बातें…
बता दें कि आज के समय में लता मंगेशकर के चाहने वालों की संख्या लाखों और करोड़ों में है, लेकिन आप में से बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे, जिन्हें उनके नाम से जुड़ी असली कहानी पता होगी? बता दें कि असल में स्वर कोकिला का नाम भी एक किस्से की तरह काफी दिलचस्प है और लता का असली नाम कुमारी लता दीनानाथ मंगेशकर था। इतना ही नहीं लता मंगेशकर के पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर था और उनके पिता मराठी थियेटर के मशहूर एक्टर और नाट्य संगीत के म्युजिशियन थे।
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चूँकि लता जी को संगीत कला विरासत में मिली थी ऐसे में लता जी का लगाव बचपन से ही संगीत कला में था और कहा तो ये भी जाता है कि लता जी के पिता को अपने पिता पक्ष से ज्यादा माता पक्ष से लगाव था और दीनानाथ की मां ‘येसूबाई’ देवदासी थीं। इस कारण वो गोवा के ‘मंगेशी’ गांव में रहती थीं और उनका काम मंदिरों में भजन-कीर्तन करना होता था और उसी के माध्यम से उनकी जिंदगी का गुजर- बसर हो रहा था। ऐसे में दीनानाथ को ‘मंगेशकर’ नाम का टाइटल मिला और जन्म के समय लता जी का नाम ‘हेमा’ रखा गया था।
लेकिन एक बार उनके पिता दीनानाथ ने ‘भावबंधन’ नाटक में काम किया और उसमे एक फीमेल कैरेक्टर थी, जिसका नाम ‘लतिका’ था। ऐसे में लता जी के पिता को ये नाम इतना पसंद आया कि उन्होंने अपनी बेटी का नाम भी हेमा से बदलकर लता रख दिया और छोटी सी हेमा बड़ी होकर लता मंगेशकर बन गईं।