अपर्णा यादव ने अखिलेश यादव को ललकारा, बोलीं- यादव हूं, शेरनी हूं! सपाइयों से नहीं डरती
हाल ही के दिनों में जबसे अपर्णा यादव ने सपा का साथ छोड़ा है, तभी से उनके तेवर और सुर काफी बदले-बदले से नजर आ रहें है। ऐसे में भले ही वो मुलायम परिवार की बहू हो और उनके रगों में समाजवाद का ख़ून, लेकिन अब वो पूर्ण रूप से भाजपा के रंग में रंगती दिख रही है। जी हाँ ऐसा कहने के पीछे मजबूत कारण है। उनकी बाराबंकी में हुई चुनावी सभा को ही देख लीजिए। जहाँ पर अपर्णा यादव समाजवादी कुनबे और अखिलेश यादव को ही चुनौती देती नजर आईं।
बता दें कि इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की बहू अपर्णा यादव ने कहा कि, “यादव हूं, शेरनी हूं, सपाइयों से डरती नहीं हूं। जंगल का राजा शेर होता है, मगर शिकार शेरनी ही करती है।” ऐसे में आप समझ सकते हैं कि कैसे अब अपर्णा यादव अपने पूरे राजनीतिक तेवर में दिख रही हैं और यूपी में छिड़े चुनावी घमासान में अपना बखूबी रोल प्ले कर रही है। गौरतलब हो कि उन्होंने यादव बिरादरी के लोगों से आह्वान किया कि धर्मयुद्ध में भाजपा के राष्ट्रवाद के रथ पर सवार होकर पूरे जिले में कमल खिलाकर भाजपा को बड़ी जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
चुनावी घमासान के बीच गुरुवार को बाराबंकी के मोथरी में पहुंची अपर्णा यादव एक अलग अंदाज में ही दिखीं और वहां एक जनसभा के बाद कुछ सपा कार्यकर्ताओं ने अखिलेश के समर्थन में नारेबाजी भी शुरू कर दी, लेकिन इसके बाद भाजपा नेत्री अर्पणा यादव ने खजूर गांव में अपने तेवर दिखाएं और उन्होंने कहा कि, “मैं यादव हूं, शेरनी हूं… सपाइयों से डरती नहीं हूं। जंगल का राजा शेर होता है। मगर शिकार शेरनी ही करती है।”
इतना ही नहीं अपर्णा ने बृहस्पतिवार को बाराबंकी सीट के मौथरी, भिटौली में जनसंपर्क और नुक्कड़ सभाओं को संबोधित किया और इस दौरान मोदी- योगी के राष्ट्रवाद पर चर्चा की। वहीं उन्होंने इस दौरान कहा कि प्रदेश में छह एक्सप्रेस-वे, साढ़े चार लाख युवाओं को नौकरी, किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये की कर्ज माफी, 45 लाख गरीबों को आवास उपलब्ध कराकर भाजपा ने यह सिद्ध किया है कि वो बिना किसी भेदभाव के विकास कार्यों में जुटी है। ऐसे में भाजपा को जीताने के लिए दोबारा लोगो को आगे आने की जरूरत है।
वहीं आखिर में बता दें कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा बिष्ट यादव पिछले महीने सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई थीं। उसके पहले उन्होंने 2017 में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट सीट से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था और इस बार फिर उनके लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ने की संभावना थी। लेकिन बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।