उमर खालिद एंड कंपनी ने रची दिल्ली दंगों की साजिश? कपिल मिश्रा को फंसाना भी था साजिश का हिस्सा
दंगा तो करना है हमें और उस के लिए हमें एक नाम चाहिए, इस तरह से कपिल मिश्रा को फंसाने की हुई साजिश
दिल्ली की एक अदालत में दिल्ली दंगा मामले की सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर(SPP) अमित प्रसाद ने जो तथ्य सामने रखें हैं वे बेहद चौंकाने वाले हैं। अमित प्रसाद ने वाट्सऐप चैट, दंगों की टाइमलाइन, पुलिस पर हमला और दंगों में इस्तेमाल पेट्रोल बम का साक्ष्य देते हुए दंगों को गहरी साजिश करार दिया है। एसपीपी अमित प्रसाद ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष अपनी दलीलें रखीं और दिल्ली दंगों में कपिल मिश्रा की संलिप्तता को सिरे से खारिज कर दिया।
वाट्सऐप चैट का हवाला एसपीपी अमित प्रसाद ने जिस वाट्स ऐप चैट का हवाला दिया है वो बेहद अहम है। चैट से पता चलता है कि कपिल मिश्रा की दंगे में संलिप्तता साबित करने के लिए एक साजिश रची गई। चैट में लिखा है- “हिंसा तो करनी है हमें, और उसके लिए एक नाम चाहिए”।
कपिल मिश्रा को फंसाने की साजिश!
अमित प्रसाद ने दलील दी- “आप एक कहानी बनाना चाहते हैं कि कपिल मिश्रा वहां थे और उन्होंने ब्ला ब्ला ब्ला किया। उस दिन कपिल मिश्रा कहां हैं? अमित प्रसाद के अनुसार, 17 फरवरी, 2020 तक “हिंसा भड़काने का प्रस्ताव” था, जब कपिल मिश्रा का नाम “सामने भी नहीं आया था।”
एसपीपी ने आगे 23 फरवरी, 2020 से दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में उल्लेखित एक व्हाट्सएप चैट का जिक्र किया। एसपीपी अमित प्रसाद ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि “JCC_JMI” वाट्सऐप ग्रुप पर मुख्य रूप से 5 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई थी जिसमें सफूरा और शारजील इमाम भी सदस्य थे, जिन्होंने दिल्ली दंगों को कोऑर्डिनेट किया था। उक्त व्हाट्सएप ग्रुप पर हुए चैट का जिक्र करते हुए प्रसाद ने कहा, “यह स्पष्ट है कि वे कपिल मिश्रा को दोषी ठहराते हुए (झूठी) हिंसा की कहानी बनाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि पहले, 17 फरवरी से ही वे हिंसा की आशंका जता रहे थे, और दूसरा, उनका अपना एक आदमी कहता है- “भाई, कुछ नहीं हुआ, कपिल मिश्रा चला गया। पुलिस उसे ले गई है”।
दंगे की योजनाबद्ध साजिश रची गई?
अमित प्रसाद ने इस बात पर भी जोर दिया कि, “मामले में सभी आरोपियों के कार्य सिंक्रनाइज़ या तालमेल के साथ, योजनाबद्ध और हिंसा पैदा करने के इरादे से किये गये थे।” उन्होंने कहा कि इस बार आरोपी एक समन्वित (तालमेल के साथ) हमला करना चाहते थे, क्योंकि दिल्ली दंगों का पहला चरण सफल नहीं हो सका था।साजिश का हवाला देते हुए अमित प्रसाद ने मामले में एक अन्य प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों का जिक्र किया, जहां यह उल्लेख किया गया था कि दंगों के दौरान पुलिस स्टेशन के हाउस ऑफिसर को जानबूझकर कर इसीलिए घायल किया गया था। उन्होंने एफआईआर के उस अंश को भी पढ़ा जहां कहा गया था कि भीड़ चिल्ला रही थी, “आज पुलिस वालों को जान से मार कर छोडेंगे)”।
साजिश के तहत रोड जाम किए गए?
अमित प्रसाद ने तर्क दिया कि दंगों के दूसरे चरण से पहले और उसके दौरान सभी जगहों पर एक पैटर्न देखा गया था। उन्होंने कोर्ट को एक नक्शे पर दिखाया कि दंगों के दौरान कुछ सड़कों को बंद कर दिया गया था, जिसके लिए यह अच्छी तरह मालूम है कि यदि वे रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं, तो पूरी उत्तर-पूर्वी दिल्ली अवरुद्ध हो जाती है। न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली से एक प्राथमिकी का जिक्र करते हुए, उन्होंने आगे तर्क दिया कि इन सब में जो कॉमन एलिमेंट थे वो थे – हैदर, एशिया तातिया (जो आसिफ तन्हा है)।
उन्होंने आगे कहा, “(यदि) आपको किसी विशेष कानून से शिकायत है तो आप इसे हटाने के अपने अधिकारों के भीतर कार्य कर सकते हैं, लेकिन आपको धमकी देने, पुलिसकर्मियों को पीटने, विनाश करने का कोई अधिकार नहीं है।” प्रसाद ने एक और प्राथमिकी दिखाई, जिसमें डीटीसी बसें, एंबुलेंस, पुलिस बूथ के नष्ट होने घटनाएं दिखाई देती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा इन सबके पीछे कि एक समान पैटर्न और कॉमन एलिमेंट थे – मीरन अहमद, शरजील इमाम, आसिफ तन्हा।
शरजील के चश्मा टूटने का जिक्र
एसपीपी अमित प्रसाद ने कहा कि इमाम ने खुद अपनी मौजूदगी स्वीकार की थी, क्योंकि अपने एक बयान में उन्होंने कहा है कि उनका चश्मा वहां (दंगों के दौरान) टूट गया था। इसके अलावा, प्रसाद ने पिंजरा तोड़ के कार्यकर्ताओं और अन्य आरोपियों की MLC (चोट रिपोर्ट) रिपोर्ट का हवाला दिया। साथ ही यह तर्क दिया कि ये सभी कॉमन एलिमेंट दरियागंज में या उसके आस-पास थे जब दिल्ली दंगा हिंसा हुई थी।
दंगों की साजिश रची गई?
दो साल बाद, दिल्ली के दंगों का सच अब सामने आ रहा हैं
कैसे उमर खालिद, सफूरा जरगर और जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी ने भयानक नरसंहार की तैयारी की
कैसे पुलिस वालों की हत्या की योजनाएं बनाई गई
मीडिया का एक बड़ा हिसा खुलकर इस्लामिक आतंकियों का साथ दे रहा था https://t.co/T4zFb6NYHu
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) February 1, 2022
अमित प्रसाद ने अदालत को बताया कि दंगों की पहले से ही “पूर्व योजना” थी, क्योंकि “पेट्रोल बम कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आप किसी दुकान से खरीद लें।” आपको इसे बनाने के लिए किसी खास शख्स की जरूरत है. और वो जो इसका इस्तेमाल करना जानता है। अमित प्रसाद ने जोर देकर कहा कि पहले चरण के दंगे भी स्वतःस्फूर्त नहीं थे।
एसपीपी अमित प्रसाद ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद और अन्य की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान ये दलीलें पेश कीं। इन आरोपियों को फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत चार्जशीट किया गया है।