आर्थिक मंदी का सामना कर रहा श्रीलंका दिवालिया होने के कगार, चाय के लिए भी तरसे लोग…
किसी देश में मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लोगों को तरसना पड़ जाएं। फिर आप समझ सकते है कि उस देश की हालत कितनी खराब हो चली है और ऐसी ही स्थिति की तरफ़ बढ़ चुका है भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका। बता दें कि भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है और खाने-पीने के सामानों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। ऐसे में लोक-कल्याणकारी राज्य जैसी बातें अब फ़रेबी वहां के नागरिकों के लिए साबित हो रही हैं।
इतना ही नहीं मालूम हो कि भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। देश दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। भारी कर्ज के बोझ तले श्रीलंका में हरी मिर्च की कीमत 700 रुपए प्रति किलो हो चली है, तो वहीं दूध की कीमत इतनी है कि लोग चाय के लिए भी तरस रहें हैं। आइए ऐसे में समझें कि आख़िर ऐसी स्थिति श्रीलंका की क्यों हो गईं और इसके पीछे का अहम कारण क्या है?…
बता दें कि खाद्य वस्तुओं की कीमत में श्रीलंका में महीने में 15 फीसदी से अधिक का इजाफा हो चुका है। श्रीलंका में महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं तो देश में आवश्यक वस्तुओं की भी किल्लत हो गई है।
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस देश की लगभग 2.2 करोड़ जनसंख्या इस समय इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रही है और श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में नवंबर के अंत तक 1.6 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी। ऐसे में अब स्थिति ये है कि देश की सरकार बहुत सी जरूरी चीजों के आयात पर भी प्रतिबंध लगाने को मजबूर हो गई है और यही वजह है कि इस देश में खाने पीने वाली रोजाना की सामग्री के दाम भी आसमान छू रहें हैं।
वैसे हमारे देश में गैस-सिलेंडर आदि की कीमतें दस रुपए भी बढ़ जाती है तो विपक्ष से लेकर आम जनता तक हो-हल्ला मचाने लग जाती है, लेकिन सोचिये कि बीते चार महीनों में यहां रसोई गैस सिलेंडर की कीमतें लगभग 85 फीसदी तक बढ़ी है। इतना ही नहीं आयात की कमी के कारण यहां दूध तक की कीमतों में ऐसी भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है कि लोगो चाय की चुस्कियां लेने को नहीं मिल रही है।
इतना ही नहीं एक नजर से देखें तो श्रीलंका में सब्जियों की मौजूदा कीमत भी थाली का स्वाद बिगाड़ रही है और वर्तमान में यहां बैंगन 160 रुपये किलो, करेला 160 रुपये किलो, भिंडी 200 रुपये किलो, आलू 200 रुपये किलो, टमाटर 200 रुपये किलो, बंदगोभी 240 रुपये किलो तथा बींस 320 रुपये किलो बिक रही है। ऐसे में आदमी के पास बजता है एक ही ऑप्शन या तो वो इतनी महंगी खाद्य साम्रगी खरीदकर खाएं या तो इन वस्तुओं के दाम सुनकर ही पेट भर जाने का नाटक करें।
वैसे श्रीलंका की यह स्थिति पहले से नहीं थी, लेकिन कर्ज़ लेकर घी पीने की आदत ने श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ने में अहम भूमिका अदा की और आज के समय में भारी कर्ज के कारण यहां के लोगों को दो जून भर पेट खाना तक नसीब नहीं हो रहा है। बता दें कि लोग तीन वक्त के बजाए एक या दो वक्त का खाना खाकर अपना वक्त गुजार रहे हैं औऱ जहां की 5 लाख की आबादी गरीबी रेखा के नीचे पहुंच गई है। इसके अलावा नवंबर के अंत तक श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 1.6 अरब डॉलर रह गया।
ऐसे में हालत बिगड़नी स्वाभाविक ही है। वहीं मालूम हो कि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो श्रीलंका अभी चीन के 5 अरब डॉलर से अधिक के कर्ज के नीचे दबा हुआ है। ऐसे में अभी पिछले साल ही यहां की सरकार ने वित्तीय संकट से उबरने के लिए चीन से फिर 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया। ऐसे में देखें तो आने वाले 12 महीनों में इस देश के लिए घरेलू और विदेशी लोन सभी मिला कर 7.3 अरब डॉलर का भुगतान करना जरूरी हो जाता है और यही हाल रहा तो श्रीलंका की स्थिति और बिगड़ सकती है।