इस हनुमान मंदिर में मंगलवार और शनिवार को दीखते हैं ऐसे-ऐसे दृश्य, जानकर हो जायेंगे हैरान!
गुजरात के सौराष्ट्र के सारंगपुर गाँव में कष्टभंजन हनुमान जी के दर्शन से ही भूत-प्रेत और ब्रह्मराक्षस की बढ़ा दूर हो जाती है। कष्टभजन हनुमान जी के इस धाम को पीड़ितों के उद्धार का स्थल कहा जाता है। यह एक ऐसा हनुमान मंदिर है, जहाँ सभी धर्मों के लोग आते हैं। जो भी व्यक्ति बुरी आत्मा से परेशान होता है, इस जगह आता है। यहाँ पुजारी जैसे ही मंत्र बोलकर व्यक्ति के ऊपर जल फेंकता है, बुरी आत्मा शरीर छोड़कर बाहर हो जाती है।
आत्माएं शरीर ना छोड़ने का करती हैं हठ:
पुजारी आत्मा से उसके बारे में सबकुछ पूछता है। आत्मा जो जवाब देती हैं, यह सुनकर आपकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहेगा। शुरुआत में सभी आत्माएं शरीर ना छोड़ने का हठ करती हैं। लेकिन जब उसे स्वामी गोपालानंद की छड़ी दिखाई जाती है तो वह जहत से बाहर निकलने को तैयार हो जाता है। वह यह भी वादा करती हैं कि दुबारा व्यक्ति को परेशान नहीं करेंगी। यहाँ जाने के बाद व्यक्ति को आत्मा या भूत-प्रेत से पूरी तरह आजादी मिल जाती है। ऐसे दृश्य आपको मंदिर में हर मंगलवार और बुधवार को देखने को मिल सकते हैं।
इस गाँव का रामायणकाल से सम्बन्ध बताया जाता है :
इस गाँव का रामायणकाल से सम्बन्ध बताया जाता है। जब राम लक्षमण के साथ सीता ई खोज करते हुए किष्किन्धा पहुँचे तो वहाँ उनकी मुलाकात हनुमान जी से हुई। हनुमान जी ने राम को सुग्रीव से मिलवाया और बाली का वध किया। उसके बाद हनुमान जी ने सभी को वानरों की सेना इकट्ठी करने का आदेश दिया। ऐसा कहा जाता है कि उस समय सबसे ज्यादा वानर रैवताचल पर्वत के वन प्रदेशों में रहते थे। हनुमान जी इस जगह मांडव्य ऋषि के आश्रम में रुके। यहाँ की सुन्दरता देखकर वह मंत्मुग्ध हो गए।
वापस आकर उन्होंने यहाँ की सुन्दरता का बखान राम से किया। राम ने कहा कि भविष्य में उस जगह रहकर आप लोगों के कष्टों को दूर करेंगे। कलयुग में सूर्यवंशियों ने मारवाड़ में आकर सूर्यनारायण मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर में पूजा करने वाले को लोग दादा के नाम से जानते थे। वह बिना पूजा किये अन्न-जल ग्रहण नहीं करते थे। एक बार भयानक अकाल पड़ गया और उन्हें मूर्ति को रथ पर रखकर कहीं और जाना पड़ा। रथ चलते-चलते एक जगह उसका पहिया धंस गया और बहुत कोशिश के बाद नहीं निकला।
परेशानी से छुटकारा पाने के लिए विदेशों से भी आते हैं लोग:
स्वामी नारायण सम्प्रदाय के स्वामी गोपालानंद जी महाराज ने हनुमान जी को प्रसन्न करके यहीं निवास करने के लिए माना लिया। 1905 में कष्टभंजन हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की गयी एवं उसमें प्राण-प्रतिष्ठा की गयी। उसके बाद से ही यहाँ प्रतिदिन देश के कोने-कोने से हजारों भक्त आते हैं और अपने कष्टों का निवारण करवाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में दर्शन करने और अपने कष्टों से छुटकारा पाने के लिए विदेशों से भी लोग आते हैं।