तेज़ी से बढ़ते ओमिक्रोन के मामलों के बीच भी कम हो रही मौतें; जानिए इसकी वज़ह…
नई दिल्ली! कोविड-19 की तीसरी लहर का सामना इस समय दुनिया के कई देश कर रहें हैं और इससे अछूता अपना देश भी नहीं है। जी हां देश अभी ओमिक्रॉन की वजह से आई कोरोना की तीसरी लहर का सामना कर रहा है और इसकी वजह से देश भर में काफ़ी एहतियात भी बरतें जा रहें हैं। हाँ इस लहर में जो बात सुकुन देने वाली है कि इसका प्रकोप दूसरी लहर जैसा नहीं दिख रहा है और इस बार लोगों में भय भी उस स्तर का नहीं।
जितना पहली और दूसरी लहर में देखने को मिला। इतना ही नहीं बता दें कि इस लहर में मरीज भले तेजी के साथ बढ़ें हो या फिर बढ़ रहे हैं, लेकिन एक सुखद तथ्य यह भी है कि कोरोना की पहली व दूसरी लहर की तुलना में इस बार तीसरी लहर में बहुत कम मरीजों को ही अस्पताल जाने की जरूरत पड़ रही है और कहीं न कहीं यही बात है जिसकी वज़ह से इस लहर में कोरोना का असर कम देखने को मिल रहा है।
बता दें कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों में तीसरी लहर में भी छह प्रतिशत मृत्यु दर देखी गई है, लेकिन कहीं न कहीं यह पहली और दूसरी लहर की तुलना में काफी कम है।
इतना ही नहीं एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मैक्स हेल्थकेयर के 13 अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों पर किए गए एक अध्ययन से इस बात का पता चला है। जिसमें दिल्ली एनसीआर में स्थित मैक्स हेल्थ केयर के सभी अस्पतालों का डाटा शामिल किया गया है।
गौरतलब हो कि यह अध्ययन साकेत स्थित मैक्स अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन के विशेषज्ञ व मैक्स हेल्थकेयर के समूह चिकित्सा निदेशक डा. संदीप बुद्धिराजा के नेतृत्व में किया गया है और अध्ययन में जो बिंदु निकलकर आए वो काफी राहत देने वाले हैं।
मालूम हो कि इस अध्ययन के बाद कहा गया है कि, “दूसरी लहर के दौरान जब एक दिन में 28 हजार मामले आए थे तब अस्पतालों के बेड मरीजों से भरे हुए थे। आइसीयू में बेड खाली नहीं थे।”
वहीं इसकी तुलना में तीसरी लहर में इस बार 28 हजार मामले पर आने पर अस्पतालों में बहुत कम मरीज पहुंचे। इसलिए मैक्स के अस्पतालों में बेड की कमी नहीं हुई।
इतना ही नहीं कहा ये भी जा रहा है कि पहली लहर में अस्पतालों में भर्ती 63 प्रतिशत व दूसरी लहर में 74 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी। जबकि तीसरी लहर में अस्पतालों में भर्ती 23.4 प्रतिशत मरीजों को ही ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी।
वहीं मैक्स अस्पताल की इस रिपोर्ट में जो विशेष बात निकलकर आई है। उसके अनुसार कोरोना की पहली लहर में मार्च 2020 से जनवरी 2021 तक मैक्स के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कोरोना के 20,883 मरीजों में मृत्यु दर 7.2 प्रतिशत थी।
जबकि दूसरी लहर में डेल्टा के संक्रमण के दौरान चार माह में 12,444 मरीज भर्ती हुए थे जिनमें मृत्यु की दर 10.5 प्रतिशत थी और इस बार तीसरी लहर में अस्पतालों में भर्ती 1378 मरीजों में से सिर्फ 82 मरीजों की मौत हुई। इस लिहाज से अगर इसे प्रतिशत के आंकड़े में देखें तो यह सिर्फ छह प्रतिशत होता है।
वहीं मालूम हो कि इस बार किडनी, दिल की गंभीर बीमारियों, मधुमेह, कैंसर इत्यादि रोगों से पीड़ित 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों की मौत अधिक हुई और इसके अलावा मृतकों में 60 प्रतिशत ऐसे मरीज थे जिन्हें कोरोना का टीका नहीं लगवाया था या फिर उन्होंने सिर्फ़ एक ही डोज ली थी।
वहीं आख़िर में बता दें कि यह अध्ययन बताता है कि इस बार भी बच्चों पर कोरोना के नए वैरियंट का असर नहीं देखने को मिला या फिर काफ़ी सीमित मात्रा में ही बच्चे इससे प्रभावित हुए। बता दें कि मैक्स अस्पताल में अभी तक तीसरी लहर में कोरोना से संक्रमित 18 साल से कम उम्र के सिर्फ 41 बच्चे ही भर्ती किए गए और सबसे अच्छी बात ये रही कि इसमें से किसी की मौत नही हुई।