Surrogacy से मां बनी प्रियंका चोपड़ा, जानिए क्या होती है सरोगेसी और कैसे करती है काम
सरोगेसी क्या होती है आज के समय में जानना हो गया है ज़रूरी, प्रियंका ने भी इस पद्धति से दिया बच्चें को जन्म...
बीते दिनों बॉलीवुड की देशी गर्ल यानी एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा मां बन गई। जी हां प्रियंका चोपड़ा ने अपने एक इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के माध्यम से इस बात की पुष्टि की है। गौरतलब हो कि प्रियंका नेचुरल तरीके से मां नहीं बनी हैं, बल्कि इसके लिए उन्होंने सरोगेसी तकनीक का सहारा लिया।
बता दें कि प्रियंका और निक दोनों ने साल 2018 में शादी रचाई थी और अब प्रियंका और निक जोनस को माता-पिता बनने का यह सौभाग्य सरोगेसी तकनीक के जरिए मिला है।
वैसे सरोगेसी तकनीक के सहारे मां बननी वाली प्रियंका चोपड़ा अकेली सिने कलाकार नहीं हैं, बल्कि इससे पहले बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रीति जिंटा, शिल्पा शेट्टी, शाहरुख खान, आमिर खान, करण जौहर, एकता कपूर और तुषार कपूर जैसे कई सितारे सरोगेसी की मदद से पैरेंट्स बन चुके हैं। आइए ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि आखिर सरोगेसी क्या होती है और भारत में इसको लेकर क्या नियम और कायदे हैं…
क्या होती है सरोगेसी?…
बता दें कि बच्चा पैदा करने के लिए जब कोई कपल यानी महिला-पुरुष किसी दूसरी महिला की कोख किराए पर लेता है तो इस प्रक्रिया को ही ‘सरोगेसी’ कहा जाता है। मालूम हो कि सरोगेसी में कोई महिला अपने या फिर डोनर के एग्स के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए प्रेग्नेंट होती है।
वहीं आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सरोगेसी से बच्चा पैदा करने के पीछे कई वजहें होती हैं। जैसे मान लीजिए किसी कपल को कोई मेडिकल से जुड़ी दिक़्क़त है या फिर गर्भधारण से महिला की जान को खतरा आदि है तो वह इस तकनीक के माध्यम से मातृत्व सुख भोगती है। वहीं जानकारी के लिए बता दें कि अपनी कोख में दूसरे का बच्चा पालने वाली महिला को ‘सरोगेट मदर’ कहा जाता है।
सरोगेसी का यह होता है अर्थ…
बता दें कि कुछ मीडिया रिपोर्ट कहती है कि जब कुछ महिलाओं के गर्भाशय में प्राकृतिक-तकनीकी कमी के कारण भ्रूण का पूरा विकास नहीं हो पाता है या फिर भ्रूण के परिपक्व होने के पहले ही महिला का गर्भपात हो जाता है। ऐसी स्थिति में महिलाएं मातृत्व सुख से वंचित रह जाती हैं।
लेकिन अब आईवीएफ तकनीकी की सहायता से ऐसी महिलाओं को भी मातृत्व का सुख मिल पाना संभव हुआ है और ऐसी स्थिति में महिला के गर्भाशय में अंडे के निषेचित होने के बाद एक निश्चित अवधि पर उसे महिला के गर्भ से निकालकर एक अन्य स्वस्थ महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है और जहां इसका पूर्ण विकास होता है।
वहीं आपको बता दें कि सरोगेसी दो तरह की होती है। जिसमें पहला ट्रेडिशनल सरोगेसी होती है। जिसमें होने वाले पिता या डोनर का स्पर्म सरोगेट मदर के एग्स से मैच कराया जाता है और इस सरोगेसी में सरोगेट मदर ही बॉयोलॉजिकल मदर (जैविक मां) होती है।
वहीं दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी जिसमें सरोगेट मदर का बच्चे से संबंध जेनेटिकली नहीं होता है यानी प्रेग्नेंसी में सरोगेट मदर के एग का इस्तेमाल नहीं होता है। ऐसे में इस प्रक्रिया में सरोगेट मदर बच्चे की बायोलॉजिकल मां नहीं होती है और वो सिर्फ बच्चे को जन्म देती है।
इतना आता है लगभग खर्चा…
प्राप्त जानकारी के अनुसार बता दें कि सरोगेसी एक बहुत महंगी प्रक्रिया होती है और सरोगेसी प्रक्रिया में खर्च तकरीबन 15 से 20 लाख रूपए हो सकते हैं।
क्या जानवर में भी होती है ये प्रक्रिया?…
जी हां ऐसे में हमारा उत्तर हां में होगा। बता दें कि कुछ साल पहले यूपी सरकार ने गाय की खास नस्ल को बचाने के लिए सरोगेसी तकनीक का सहारा लिया था। मालूम हो कि गाय की इस खास नस्ल का नाम ‘गंगातीरी’ है और पशुधन विकास विभाग ने 290 गंगातीरी नस्ल की गायों की कोख किराए पर लिया था। ऐसे में एक बात तो स्पष्ट हुई कि जानवरों में भी इस प्रक्रिया का असर होता है।
यह प्रक्रिया विवादों से नहीं है अछूती…
वहीं जानकारी के लिए बता दें कि इस प्रक्रिया का सहारा लेने में कई बार विवाद की स्थिति भी पैदा हो जाता है। जी हां कई बार बच्चे को जन्म देने के बाद सरोगेट मां भावनात्मक लगाव के चलते बच्चे को देने से इनकार कर देती है। ऐसे में विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके अलावा भी कई मुद्दे होते जो विवाद को जन्म देते हैं।
ऐसी ही स्थितियों को बयां करती हुई बीते दिनों एक फ़िल्म आई थी। जिसमें इस प्रक्रिया के दौरान आने वाली परेशानियों या विवादों को दिखाया गया और यह फ़िल्म है ‘मिमी’ (Mimi Movie)।
जिसमें पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) की सलाह पर कृति सेनन(Kriti Sanon) सरोगेट मदर बनती हैं। उसके बाद क्या स्थितियां निर्मित होती है। उसके लिए आप मिमी फ़िल्म को देख सकते। जोकि ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स और जियो सिनेमा पर रिलीज हुई थी।