चाणक्य नीति:इसलिए माता-पिता, संतान और जीवनसाथी बन जाते हैं दुश्मन, अपनों से ही करते हैं दगा
जीवन में उतार चढ़ाव आना बड़ी आम बात है। फिर इस जीवन में हमे पल-पल पर धोखा भी मिलता है। कई दुश्मन भी बन जाते हैं। जब कोई पराया हमे धोखा दे या दुश्मनी दिखाए तो हम फिर भी इसे सहन कर लेते हैं। लेकिन जब कोई अपना ही अपनों से बगावत कर दें, दुश्मन बन हमारा बुरा सोचे या हमारे साथ कुछ गलत करें तो दिल को बहुत दुख होता है।
इस बारे में महान कूटनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और राजनीति के ज्ञाता आचार्य चाणक्य ने भी अपनी चाणक्य नीति में कुछ बातें कही है। अपने अनुभवों और विद्वता कप संजोते हुए चाणक्य ने नीति शास्त्र लिखा था। उनकी लिखी आज के जमाने में भी सटीक बैठती है। इन्हें हम लाइफ मैनेजमेंट के रूप में भी आजमा सकते हैं। उनकी बातों पर अमल कर हम एक सुखद जीवन तो जीते ही हैं, साथ में हमे रिश्तों की गहराई का ज्ञान भी मिलता है।
इन हालातों में सगे संबंधी भी बन जाते हैं दुश्मन
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कुछ ऐसी स्थितियों का जिक्र किया है जिसमें अपने सगे लोग भी दुश्मन बन जाते हैं। फिर वह माता पिता हो या शिक्षक-मित्र, हर कोई आप से बगावत छेड़ देता है। ऐसी स्थिति में इंसान खुद को बंधा हुआ महसूस करता है और चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता है। तो चलिए जानते हैं कि ये स्थितियाँ कौन सी होती है।
1. वैसे तो मां के प्रेम को दुनिया में सबसे ज्यादा पवित्र और निश्छल माना जाता है, लेकिन यदि मां अपने ही बच्चों के बीच अंतर करने लगे, या उन्हें कुछ नुकसान पहुंचाने का प्रयास करें तो इस स्थिति में मां ही अपने बच्चे की सबसे बड़ी दुश्मन बन जाती है।
2. एक पिता का फर्ज होता है अपने बच्चों के सिर पर छत दे, उनके दुख दूर करें, उन्हें दुनियादारी सिखाए। लेकिन जब यही पिता अत्याहदीक कर्ज ले और उसे न चुकाए तो इस कर्ज का बोझ बच्चों पर आ जाता है। इस स्थिति में पिता खुद अपनी संतान का दुश्मन बन जाता है। ये कर्ज बच्चों की जिंदगी नरक बना देता है।
3. जिस पुरुष की पत्नी शिक्षित, चरित्रवान, समझदार हो वह बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है। लेकिन यही पत्नी यदि गैर मर्द की तरफ आकर्षित हो जाए तो न सिर्फ पति की बल्कि पूरे परिवार की दुश्मन बन जाती है। फिर हँसता खेलता परिवार भी ताश के पत्तों की तरह बिखर जाता है।
4. यदि पति अपनी पत्नी को सम्मान दे और वफादार रहे तो बीवी को भाग्यशाली माना जाता है। वहीं पति नशे करने लगे, बीवी का अपमान करे या गैर महिला से संबंध बना ले तो वह शत्रु बन जाता है।
5. संतान यदि आज्ञाकारी, शिक्षित, संस्कारी हो तो माता-पिता के लिए अनमोल हीरे की तरह होती है। वहीं यदि वह मूर्ख, बुरी संगत करने वाली, लत की शिकार हो जाए तो अपने ही माता-पिता की शत्रु बन जाती है।