शिवलिंग की परिक्रमा करते समय रखें इस बात का ध्यान, नहीं तो हो जायेंगी आपकी शक्तियाँ ख़त्म!
सावन के महीने में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। भगवान शंकर को उनके भक्त बाबा बर्फानी, डमरूवाला, त्रिपुरारी, त्रयम्बकेश्वर, नीलकंठ, महादेव, मृत्युंजय बाबा विश्वनाथ, केदार बाबा, आशुतोष से जानते कई नामों हैं। संसार में जो कुछ भी था, हैं और जो होगा उसके सूत्रधार भगवान शंकर ही हैं। भगवान शंकर को सभी देवताओं में सबसे प्रमुख माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शंकर के शिवलिंग की अर्ध परिक्रमा ही करनी चाहिए।
पुष्प तोड़ते समय हो जाते थे अदृश्य:
पुष्प दत्त ने भगवान शंकर को प्रसन्न करके अदृश्य होने की शक्ति प्राप्त की थी। वह पुष्प तोड़ते समय भी अदृश्य रहते थे, इसलिए उन्हें कोई देख नहीं पाता था। इसके बारे में एक कथा है। पुष्प दत्त गन्धर्वों का राजा था। वह भगवान शंकर का बहुत बड़ा भक्त था। वह भगवान शंकर की पूजा करने के लिए सुगन्धित फूल लाने के लिए किसी अन्य राज्य में जाकर वहाँ से सुगन्धित फूल चुराकर लाता था।
गुप्तचर की तैनाती के बाद भी नहीं रुकी फूलों की चोरी:
प्रतिदन बाग़ से फूलों को कम होता देख माली परेशान रहने लगा। वह बगीचे की निगरानी करता था, लेकिन उसे कोई आता-जाता दिखाई नहीं देता था। माली ने इस बारे में राजा को सूचना दी। इसके बाद राजा ने फूलों की चोरी के बारे में जानकारी देने के लिए बगीचे में एक गुप्तचर की तैनाती की। इसके बाद भी फूलों की चोरी नहीं रुकी। गुप्तचर की तैनाती के बाद भी बगीचे के सबसे अच्छे फूल चोरी हो जाते थे।
गन्धर्वराज की अदृश्य होने की शक्ति हो गयी ख़त्म:
एक बार गन्धर्वराज भगवान शंकर की पूजा करते समय गलती से शिवलिंग की जल प्रवाहिका को लाँघ गया। इस वजह से उसकी अदृश्य होने की शक्ति ख़त्म हो गयी, लेकिन इस बात का उसे पता नहीं था। अगले दिन वह बगीचे में फूल तोड़ने गया तो गुप्तचर ने उसे पकड़ लिया। वह अदृश्य होना चाहता था, लेकिन हो नहीं पाया। वह किसी तरह वहाँ से अपनी जान बचाकर भागा। अगले दिन उसने भगवान शंकर से अपने अदृश्य ना होने का कारण पूछा।
निर्मली को भूलकर भी नहीं लांघना चाहिए:
भगवान शंकर ने उसे उसकी शक्ति ख़त्म होने का कारण बताया। सभी शिवलिंगों में निर्मली बना होता है। जिससे शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल को बाहर निकाला जाता है। कई शिवालयों में यह जगह ढंकी होती है। वहाँ आप शिवलिंग की पूरी परिक्रमा कर सकते हैं। लेकिन जिस शिवालय में शिवलिंग से बहने वाला जल सीधे नालियों में बहता है, उसे भूलकर भी नहीं लांघना चाहिए। निर्मली ना लांघी जाए इसलिए अर्ध परिक्रमा की जाती है।