योगी आदित्यनाथ को जेल ले जाना जब पुलिस के लिए बन गया मुसीबत: 2 किमी ले जाने में लग गए थे 8 घंटे
यूपी के मुख्य मंत्री और बीजेपी के फायरब्रैंड नेता योगी आदित्यनाथ के समर्थक उनको किस हद तक चाहते हैं, इसकी बानगी हमें अक्सर देखने को मिलती है। गोरखपुर जो योगी आदित्यनाथ का गृहनगर है और जहां से वो सांसद रह चुके हैं वहां के लोग जाति-संप्रदाय से ऊपर उठकर उनको चाहते हैं। योगी के लिए उनकी ये चाहत तब सबके सामने आ गई जब पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर जेल ले जाने लगी। जेल की 2 किलोमीटर की दूरी तय करने में पुलिस को 8 घंटे लग गए थे। क्या है पूरी कहानी आपको आगे बताते हैं।
जनवरी 2007 की घटना
2007 की जनवरी में जब उत्तर भारत कड़कड़ाती ठंड से कांप रहा था, उस वक्त गोरखपुर दंगों की आग में जल रहा था। शहर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे और दो लोगों की जान चली गई थी। दुकानें जला दी गई थीं ,और कई लोगों के घर जला दिए गए थे। गोरखपुर में कई दिनों तक कर्फ्यू लगा दिया गया था। इसी बीच तत्कालीन स्थानीय सांसद योगी आदित्यनाथ को भी गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था। इसी घटना के बाद जब योगी लोकसभा पहुंचे तो इसका जिक्र करते वो रो पड़े थे, जिसका वीडियो आज भी वायरल होता रहता है।
सद्दाम हुसैन की फांसी का हुआ हिंसक विरोध
पत्रकार विजय त्रिवेदी ने अपनी किताब ‘यदा यदा हि योगी’ में लिखा है कि 30 दिसंबर 2006 को इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को फांसी की सजा दे दी गई थी। इसके विरोध में भारत में कुछ कट्टरपंथियों ने विरोध जताया था और हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे। यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में योगी ने मुलायम सरकार को बर्खास्त करने की मांग की और गोरखपुर बंद का आयोजन किया था। इस दौरान कई हिंसक घटनाएं हुईं और प्रदर्शन हुए। इसके बाद प्रशासन ने योगी को गिरफ्तार करने के आदेश दे दिए।
मुहर्रम जुलूस बना कारण
दंगे की इस घटना से जुड़े कई अन्य पहलू भी हैं। योगी आदित्यनाथ की जीवनी लिखने वाले शांतनु गुप्ता ने अपनी किताब ‘योगीगाथा’ में इस घटना का इस तरह बयां किया है। उन्होंने लिखा कि जनवरी 2007 में मोहर्रम जुलूस के दौरान कथित तौर पर हिंदू लड़कियों के साथ छेड़खानी को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों में झड़प हो गई थी। इस घटना में राजकुमार अग्रहरि नाम के व्यक्ति को गंभीर चोटें आई, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने शहर में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया था। इसके बावजूद युवक की मौत से आक्रोशित तत्कालीन स्थानीय सांसद योगी आदित्यनाथ अपने समर्थकों के साथ मौके पर पहुंच गए और हिंसक धरना देना शुरू कर दिया। शहर में कर्फ्यू लागू था इसलिए प्रशासन ने योगी आदित्यनाथ को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस मामले में योगी पर भड़काऊ भाषण देने के भी आरोप लगे। यह भी कहा गया कि योगी ने संप्रदाय विशेष के लोगों के खिलाफ अपने समर्थकों को भड़काया था और कानून तोड़ने की भी बात की थी।
जब 2 किमी पूरा करने में लगे 8 घंटे
विजय त्रिवेदी ने अपनी किताब में बताया है कि जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान शांति भंग के आरोपी योगी आदित्यनाथ को गोरखनाथ मंदिर परिसर में ही नजरबंद करना चाहते थे लेकिन योगी इस बात पर अड़ गए थे कि अगर उन्हें गिरफ्तार करना है तो उन्हें जेल ले जाया जाए। इसके बाद पुलिस योगी को अपनी गाड़ी में बैठा कर जेल की ओर रवाना हो गई। लेकिन पुलिस के लिए यह इतना आसान नहीं था। पुलिस की गाड़ी जैसे ही मंदिर से निकली तभी सड़क योगी समर्थकों से पट गई। वे लोग पुलिस की गाड़ी के आगे लेट गए।
शांतनु गुप्ता ने ‘योगीगाथा’ में लिखा कि समर्थकों की ऐसी भीड़ जुट गई कि पुलिस को दो तीन लोगों को खींचकर हटाना पड़ता था तब जाकर गाड़ी कुछ मीटर तक चल पाती थी। इस दौरान पुलिस को सिर्फ 2 किलोमीटर का फासला तय करने के लिए 8 घंटे का समय लग गया। गुप्ता ने लिखा है कि उस दिन पूरी दुनिया ने योगी आदित्यनाथ की इस लोकप्रियता को देखा। जेल में 11 दिन रहने के बाद योगी आदित्यनाथ को रिहा कर दिया गया।
जब संसद भावुक हो गये योगी
गोरखपुर की इस घटना के बाद योगी आदित्यनाथ का गुस्सा संसद में फूट पड़ा था। 12 मार्च 2007 को सदन में बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उन्हें केवल राजनीतिक पूर्वाग्रह के कारण अपराधी बनाया जा रहा है। उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा देने की धमकी तक दे डाली थी। इस भाषण के दौरान योगी भावुक हो गए और लोकसभा में रो पड़े थे। संसद में योगी के भावुक होने का वीडियो आज भी वायरल होता रहता है।