80 के दशक में स्मिता पाटिल के इस अर्धनग्न पोस्टर ने मचा दिया था तहलका, नहाते हुए आई थी नज़र
स्मिता पाटिल ने एक एक्ट्रेस के रूप में इस इंडस्ट्री में अपना काफी नाम कमाया था. स्मिता पाटिल ने हमेशा से ही अपने लिए बेहतर फिल्मों का चुनाव किया था. उन्होंने हमेशा ही ऐसी फिल्मे चुनी जिनमे महिलाओं का किरदार दमदार दिखाया गया हो. इसी तरह से उन्होंने बॉलीवुड में चली आ रही एक्ट्रेस की एक बनी बनाई इमेज को बदलने का काम किया.
उन्होंने जब भी अपने इंटरव्यू दिए बड़े ही बेबाकी से और खुलकर दिये. वह बताती थी कि, कमर्शियल फिल्में उन्हें आकर्षित नहीं करती थी. इसी तरह अपने फिल्मों के चुनाव और उनके किरदार को लेकर कई बार स्मिता पाटिल चर्चा में भी बनी रही. इसी का उदहारण है उनकी फिल्म चक्र.
चक्र फिल्म में एक्ट्रेस ने नसीरुद्दीन शाह और कुलभूषण खरबंदा के साथ अभिनय किया था. फिल्म के पोस्टर में स्मिता पाटिल बेहद ही कम कपड़ो में एक हैंडपंप के नीचे नहाती हुई नज़र आई थी. उस समय के दौर में यह पोस्टर काफी बड़ा मुद्दा बन गया था. उसके बाद स्मिता पाटिल ने पोस्टर पर मचे विवाद पर डिस्ट्रीब्यूटर्स पर अपना भी गुस्सा जाहिर किया था.
इस बात का सबूत है एक्ट्रेस का एक पुराना इंटरव्यू. प्रसार भारती के अभिलेखागार ने स्मिता पाटिल के पुराने इंटरव्यू का वह अंश बी जारी किया जिसमे एक्ट्रेस ने उस फिल्म के पोस्टर पर खुलकर बात की थी. इसके साथ ही एक्ट्रेस उस पत्रकार नलिनी सिंह से फिल्मों में महिलाओं के किरदार पर भी बात करते हुए नज़र आई थी.
इसी के साथ वह अपने फिल्म के पोस्टर पर भी बात करते हुए दिखीं. पत्रकार नलिनी सिंह ने उनसे प्रश्न किया था, “आपका जो इश्तेहार सामने आया था जो देश भर में काफी मशहूर हुआ. जिसमें आप समझिए.. आपका आधा बदन नंगा नल के नीचे बैठकर नहा रही हैं. वो पोस्टर आपने कैसे देशभर में मशहूर होने दिया?”
इसके जवाब में स्मिता ने कहा था कि, ‘देखिये अगर मेरे हाथ में वह बात होती तो मैं वैसा बिलकुल भी नहीं होने देती. चक्र एक अच्छी फिल्म है चली भी लेकिन एक औरत का.. जो झुग्गी झोपड़ी में रहती है, उसको नहाते हुए देखने के लिए आप रुकेंगे नहीं. आप यह नहीं सोचेंगे की उसके पास रहने के लिए घर नहीं है. तो नहाने के लिए कैसे होगा. पोस्टर से जुड़ी बात डिस्ट्रीब्यूटर्स के हाथों में होती है.’
इसके साथ ही उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा कि, भारत की ऑडियंस पर यह बात काफी फ़ोर्स की गई है… शायद ये न भी हो कि देखिए जी इसमें तो औरतों के आधे नंगे शरीर हैं तो आप फिल्म देखने के लिए जरूर आएं. ये बात गलत है. फिल्म अगर सही तरह से बनी हो तो जरूर चलेगी.
सिर्फ इस तरह के पोस्टर्स से नहीं चलेगी. गौरतलब है कि, स्मिता पाटिल को गुजरे हुए 31 साल हो चुके हैं. 13 दिसंबर 1986 को मुंबई में 31 साल की उम्र में चाइल्डबर्थ कॉम्प्लिकेशंस के चलते उनकी डेथ हो गई थी. उनकी इसी विवादित फिल्म चक्र के लिए उन्हें 1981 में नेशनल अवार्ड भी मिला था. इसके पहले उन्हें 1977 में ‘फ़िल्म भूमिका’ के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.