जन्म के वक्त किन्नर मान लिया था मां- बाप ने, फिर निकाला घर से, 23 साल बाद मनीष निकला मनीषा
भागलपुर (बिहार)! अक़्सर कई बार हमारे आसपास कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती हैं। जो अपने आप आग की तरह फैल जाती हैं। जी हां और ये घटनाएं कई बार हमें अचंभित भी करती है तो कई बार बहुत कुछ सोचने-समझने पर मजबूर भी करती हैं कि हमें जल्दबाजी में किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँचना चाहिए। बता दें कि ऐसी ही एक कहानी है भागलपुर जिले की।
मालूम हो कि यहां जन्मी एक बच्ची का बचपन में जन्म के समय से ही जननांग सटा हुआ था। ऐसे में फिर क्या था, बच्ची के माता-पिता ने न आव देखा और न ताव, ना ही उन्होंने बच्ची को डॉक्टर को दिखाने की सोची और बच्ची को किन्नर मान लिया। इतना ही नहीं मालूम हो कि उन्होंने उसका नामकरण भी करवा दिया और मनीष नाम रख कर समाज में लड़का बताने लगे।
वहीं मालूम हो कि तकरीबन ऐसे ही यह कहानी 23 साल तक चलती रही और एक बच्ची के रुप में जन्मी लड़की या कहें मनीष माता-पिता की नजरों में किन्नर बनी रही तो वहीं समाज की नजर में लड़का।
लेकिन कहते हैं न कि नियति की लिखी कौन टाल सकता है और फिर तकरीबन 23 साल बाद एक ऐसी स्थिति आई। जब मनीष के भीतर पल रही मनीषा जाग उठी और फिर ऑपरेशन के बाद उसे अपनी वास्तविक पहचान मिल सकी। आइए ऐसे में जानें पूरी कहानी…
बता दें कि बिहार के भागलपुर में एक अजीबोगरीब मामला उस वक्त देखने को मिला। जब बचपन से मनीष के रूप में रहने वाला युवक 23 साल बाद ऑपरेशन से मनीषा बन गई। जी हां अब इस युवती को मनीषा के रूप में असली पहचान मिल गई है।
इतना ही नही, मनीष को मनीषा बनते ही उसके परिवार वालों में भी खुशी का माहौल है और मनीषा को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं। मालूम हो कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनीषा से जुड़ी जो विशेष बात है वो ये कि वह अब मां भी बन सकती है।
गौरतलब हो कि यह पूरा मामला भागलपुर के सिकन्दरपुर मोहल्ले का है और इसी मोहल्ले के एक छोटे से घर में मनीषा रहती है। मालूम हो कि मनीषा का जन्म से ही जननांग आपस में सटा हुआ था और अशिक्षा के कारण मां-बाप ने डॉक्टर से दिखाने के बजाय मनीषा को किन्नर मान लिया था, लेकिन मनीष से मनीषा बनी इस युवती ने समाज में अपने को पुनः स्थापित करने की कोशिश की है।
वहीं बता दें कि मनीषा ने किन्नर मान कर पांचवीं क्लास तक पढ़ाई भी की है। इसके बाद किशोरावस्था में ही वह एक कपड़े की दुकान में काम करने लगी थी लेकिन अब एक ऑपरेशन के बाद वह मनीष से पूरी तरह से युवती बन गई है और साथ ही अब वह मां भी बन सकती है, जिससे न केवल मनीषा बल्कि उसका परिवार भी खुश है।
बता दें कि वहीं अब इस मामले में मनीष से मनीषा बनी युवती का कहना है कि लड़कियों की तरह संजना-संवरना व कपड़े पहनने की ख्वाहिश अब वह पूरी कर सकेगी। इतना ही नहीं उसका कहना है कि अब वह बेझिझक अपनी जिंदगी गुजार सकेगी। पहले उसे डर सताता था समाज उसकी हर बात में आड़े आता था। लेकिन अब वह आज़ाद हो चुकी है।
वहीं मालूम हो कि जब मनीषा कपड़े की दुकान में काम कर रही थी तब उसे लड़कियों में होने वाले मासिक धर्म से गुजरना पड़ा। फिर उसका शरीर लड़की की बॉडी में परिवर्तित होना शुरू हो गया और इन सभी बातों की जानकारी उसने अपनी मां को भी दी। मां ने दुकान के मालकीन को जब यह जानकारी दी तो महिला रोग विशेषज्ञ डा.सरस्वती पांडेय से मनीषा को दिखाया गया।
वहीं जानकारी के लिए बता दें कि इसी मामले में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.सरस्वती पांडेय कहती हैं कि जब मनीषा (मनीष) को उसके पास इलाज के लिए लाया गया तो उसके स्तन विकसित अवस्था में थे। मासिक धर्म आने से स्पष्ट हो गया था कि वह लड़की ही है। वहीं जब उसका अल्ट्रासाउंड कराया गया तो उसमें गर्भाशय विकसित पाया गया। सिर्फ योनि मार्ग सटा हुआ था।
फिर ऑपरेशन के जरिये उसे सही आकार दिया गया। इतना ही नहीं इस मामले में डॉ. सरस्वती पांडेय का कहना है कि उनके जीवन में मनीषा जैसा केस तीसरी बार आया।
वहीं आख़िर में बता दें कि भले ही शुरुआत में घर-परिवार वालों ने नासमझी दिखाई। लेकिन अब सबकुछ बेहतर है और मनीष अब मनीषा बनकर अपनी वास्तविक जिंदगी जीने को आज़ाद है। मालूम हो कि मनीषा अपने तीन भाइयों व चार बहनों में सबसे बड़ी है और वह अब अपने सभी सपने पूरा करना चाहती है।