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तो क्या डर रहा है इस्लाम? इस घटना के बाद आप बताइए कि कौन है सच्चा मुसलमान

खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआत में पाकिस्तान में ट्रेनिंग देने के लिए पाकिस्तानी आतंकवादी को 50 हजार रुपए दिया जाता है.

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वहीं लोकल टेररिस्ट को 10 हजार से 25 हजार तक दिया जाता है. ट्रेनिंग के बाद जब भारत घुसपैठ करने लिए आते हैं तो साथ में ये पैसे लेकर आते हैं. इसमें नकली नोट भी हो सकते हैं. लेकिन लोकल लड़को को आतंकवाद की ट्रेनिंग देने के बाद उनकी सैलरी 3, 5, 7, 10 हजार तक होती है बल्कि पाकिस्तानी आतंकियों को 15 हजार तक मिलते हैं.
(यह रिपोर्ट 9 जून को आजतक से साभार)

इस रिपोर्ट के लगभग एक माह बाद ही कश्मीर जलने लगता है. ऐसा पहले से ही अनुमान लगा लिया गया था कि जल्द ही कश्मीर में बड़ी आतंकी वारदात होने वाली हैं.

एक आतंकवादी के लिए जनता में गुस्सा

पहली घटना पर नजर डालें तो कश्मीर में कई बार सेना पर हमले हुए थे लेकिन कश्मीर की जनता को गुस्सा नहीं आया था. जनता रोड पर नहीं आ रही थी लेकिन जब एक आतंकवादी मारा जाता है तो जनता सड़कों पर आती है और सेना को मारती है. तो अब सवाल यह उठता है कि क्या इस्लाम धर्म यह कहता है कि तुम आतंकवाद का साथ दो?

हकीकत में इस्लाम धर्म ने आतंकवाद का कहीं कोई जिक्र नहीं किया है.

तो क्या आज का मुसलमान, इस्लाम को मानता ही नहीं है? क्योकि आतंकवाद का साथ देने वाला हर व्यक्ति आतंकवादी ही होता है. याद किया जाए जब कश्मीर में बाढ़ आई हुई थी तो उस समय आतंकवादियों ने कश्मीर के लोगों की मदद नहीं की थी. भारत की सेना ने अपनी जान पर खेलकर इन लोगों को बचाया था.

पाकिस्तान में एक्टर कंदील बलोच को उसी का भाई मारता है. लेकिन यह हत्या असल में भाई से किसी और ने करवाई थी. कंदील इस्लाम के खिलाफ जाकर कई काम कर रही थी और अब वह फेमस होती जा रही थी. तो क्या इस्लाम का धर्म किसी की जान लेने की अनुमति देता है? अगर कोई धर्म इंसान के बच्चे की जान लेने को कहता है तो वह धर्म नहीं हो सकता है. धर्म कहता है कि तुम अगर किसी को जान दे नहीं सकते हो तो किसी की जान कैसे ले सकते हो?

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